सर्दी जुकाम बुखार का घरेलू उपचार: बुखार कोई बीमारी नहीं, पर एक सिग्नल है -एक लक्षण है कि शरीर का यंत्र ठीक नहीं चल रहा। भूख लगना, मल, मूत्र, पसीना, स्फूर्ती, मासिक धर्म का समय, शरीर का तापमान, शरीर पर फोड़े ,मस्से, धब्बे -ऐसे कई साधन हैं हमारे पास कि एक अवस्था तक अपनी फिटनेस का अंदाज़ा लगा सकें।
बुखार आने पर शरीर का तापक्रम बढ़ जाता है, जिसका कारण यह है, कि हमारे शरीर मे कोई भी इनफेक्शन (बिमारी के बैक्टीरिया व वायरस) चला जाता है।
तो हमारा शरीर उसका प्रतिकार करता है व उसको आने से रोकता है। इस कार्य में हमारे शरीर की प्रतीरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी सिस्टम) उस बहार से आनेवाले का विरोध करती है और उसे भगाना चाहती है ।
इसके लिये वह एन्टीजन नामक पदार्थ उत्पन्न करती है जो लड़ाई करने के लिये एन्टीबॉडी तैयार करता है। कीटाणु शक्ति से लड़ता है।
इस लड़ाई मे WBC {सफेद रक्त कण (White Blood Cell)} भाग लेता है। इस लड़ाई मे WBC जिसमे एन्टीबाडी लेकर किटाणु से लडता है ।
इस लडाई मे जो ऊर्जा उत्पन्न होती है उससे शरीर गर्म हो जाता है। और लड़ाई में जो कीटाणु व WBC मरते है वे पस के रूप मे शरीर से बाहर निकलते है।
Table of Contents
Bukhar english/Fever hindi meaning:
- FEVER का अर्थ :
- n.(संज्ञा) फ़ीवर्
- बुखार
- ज्वर
- ताप
- ज्वर
बुखार के प्रकार, कारण और इलाज (fever types, Causes & Treatment)
ज्वर/आम बुखार – Fever in Hindi
कारण (सर्दी जुकाम बुखार का घरेलू उपचार)
Fever and body pain: शरीर का तापक्रम सामान्य अवस्था में (98.6 फारेनहाईट या 37° सेंटीग्रेड) से बढना ज्वर(fever temperatures) का सूचक हैं। वात, पित्त और कफ दोषों की न्यूनाधिकता के आधार पर आयुर्वेद में ज्वर के अनेक भेद बताये गए है।
symptoms of viral fever: वास्तव में ज्वर तो एक सामान्य लक्षण हैं , जो शरीरगत किसी अन्य रोग को इंगित करता हैं। इसके निम्न कारण हैं :
ऋतु के अनुसार शास्त्रों में वर्णित भोजन न करना, अर्थात मिथ्या आहार – विहार करना विशेषकर बदलते हुए मौसम में ठंडी चीजें खाना।
बासी भोजन , सड़ी – गली वस्तुएं , कटे हुए फल व सब्जियों का प्रयोग करना।
अधिक गर्मी , धूप , ठंड , शीतल वायु व वर्षा से अपना बचाव न करना।
ईर्ष्या , द्वेष , क्रोध , लोभ , अभिमान आदि मानसिक भावों से मन में क्षोभ उत्पन्न होना। (1)
घरेलू चिकित्सा (Fever remedies at home)
ज्वर के लक्षणों के आधार पर रोग विशेष की अलग – अलग चिकत्सा की जाती है , तथापि हल्का – फुल्का बुखार होने पर निम्नलिखित चिकित्सा रोगी को दे सकते हैं।
फायदा न मिलने और बुखार न उतरने पर रोग का भली – भांति निदान करने के लिए चिकत्सक की परामर्श लेनी चाहिए।
- लहसुन को पीसकर कल्क बनाएं और 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह – शाम रोगी को दें।
- फुलाई हुई गुलाबी फिटकरी 250 मि.ग्रा. की मात्रा में सुबह – शाम दें।
- सिर दर्द हो , तो बादाम रोगन अथवा भृंगराज तेल की मालिश करें।
- छोटी पीपल का चूर्ण शहद के साथ एक – एक चमच्च की मात्रा में सुबह – शाम दें।
- पसीना न आ रहा हो ,तो रोगी को गुनगुना पानी पिलायें।
- बेचैनी हो तो बादाम रोगन और गुलरोगन मिलाकर माथे पर मालिश करें।
- रोगी को कब्ज और बेचैनी हो , तो 20 – 30 मिलीलीटर एरंड तेल को गर्म दूध के साथ दें। एरंड तेल के स्थान पर हरड़ व सोंठ या हरड़ व सौंफ आधा – आधा चमच्च मिलाकर दूध के साथ ले सकते हैं।
- सिर में दर्द होने पर घी में कपूर मिलाकर मलें।
सर्दी जुकाम बुखार का घरेलू उपचार
- ज्वर के साथ जुकाम भी हो , तो छोटी कटोरी और पित्त्पापड़ा बराबर मात्रा में लेकर उसका काढा बनाएं और दिन में तीन बार 20 मि.ली. की मात्रा में लें।
- यदि वर्षा में भींगने या ठंडी हवा में रहने के कारण बुखार हुआ हो , तो चाय में तुलसी के 5 पत्ते , 2 लौंग , 3 काली मिर्च व चुटकी भर काला नमक डालकर दें।
- शीत ऋतु में , ठंडी हवा में या वर्षा में भींगने से होने वाले बुखार में 5 पिण्ड खजूर या छुहारे दूध में उबालकर पहले खजूर को खाएं , ऊपर से दूध पीकर भाप लें।
वायरल फीवर (bukhar ka ilaaj)
- viral बुखार में 5 बादाम व 3 काली मिर्चें कूटकर एक चमच्च देसी घी में भूनें। इन दोनों के भुन जाने पर इसमें 5 किशमिश भी डाल दें और ऊपर से 400 ग्राम भी डाल दें। जब 250 ग्राम बचा रह जाए , तो इसे पीकर कपड़ा ओढ़कर भाप लें। जैसे – जैसे पसीना निकलता जाएगा , वाइरल बुखार उतरता जाएगा। (2)
- 7 तुलसी की पत्तियां , 4 काली मिर्चें व एक पिप्पल पानी के साथ पीसकर आधा कप पानी में मिला लें व दस ग्राम मिश्री(धागे वाली) मिलाकर सुबह खाली पेट पिलाएं। बुखार पूरी तरह उतरने तक दवा पिलातें रहे।
- धनिया और सोंठ का सम भाग करके चूर्ण बना लें। 10 ग्राम नीम की छाल को 250 ग्राम पानी में पकाकर काढा बना लें। इस काढ़े में 1 चमच्च चूर्ण मिलाकर सुबह – शाम रोगी को दें।
- बेलगिरी के 30 पत्तों का रस दिन में तीन बार दें। नीम की 20 कोपलें व 3 काली मिर्चें एक गिलास पानी में उबालें। एक चौथाई रह जाने पर इसे उतारकर सुबह – शाम पिएं।
- बुखार तेज हो , तो चन्दन पीसकर माथे पर लगाएं।
और पढ़ें: दिमाग कंप्यूटर जैसा तेज करने के उपाय
बुखार का दवा/bukhar ki tablet (fever best medicine/fever tablet)
For fever which tablet: वैसे तो बुखार में आप पैरासिटामोल , आइबूप्रोफेन एवं एस्पिरिन खा सकते है।
लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न ही खाये तो बेहतर होगा क्यूंकि बुखार के साथ-साथ और कोई परेशानी भी हुई तो उसका इलाज डॉक्टर कर पायंगे।
आयुर्वेदिक औषधियां (सर्दी जुकाम बुखार का घरेलू उपचार)
ज्वरान्तकवटी , ज्वरघ्नवटी , हिंगुलेश्वर रस , ज्वरभैरव चूर्ण , ज्वर नागमयूर चूर्ण , त्रिपुर भैरव रस आदि।
पेटेंट औषधियां
क्यूरिल गोलियां व शरबत (चरक) , डिवाइन रिलीफ कैप्सूल (बी.एम.सी. फार्मा) , फीवम गोलियां (माहेश्वरी) , जवरीना (संजीवन) लाभदायक हैं।
न्यूमोनिया ( फुफ्फुस शोथ ) Pneumonia
कारण
प्रायः सर्दियों में होने वाला यह रोग उन बच्चों या बड़ों में किसी भी मौसम में हो सकता हैं , जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो।
शारीरिक दुर्बलता या वायु प्रदूषण के कारण अथवा दिन में प्रायः बंद कमरों में रहने वाले व्यक्तियों में ठंड लगने , जीवाणु संक्रमण या किसी अन्य विक्षोभक कारण से फेफड़ों में सूजन आ जाती हैं। आयुर्वेद में इसका उल्लेख श्वसनक ज्वर के नाम से आया हैं।
सर्दी के मौसम में एकदम ठंड में जाने से , गर्मी में पसीने की हालत में ठंडा पानी पी लेने से , ऐसे व्यक्तियों या बच्चों में जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती हैं , कफ के प्रकोप से या जीवाणु का संक्रमण होने से यह रोग होता हैं।
पुरानी खांसी , दमा या ह्रदय रोग के चलते इस रोग के होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
लक्षण (Fever symptoms)
रोगी को बलगम के साथ खांसी , छाती में दर्द ,भारीपन व बुखार रहता हैं। बलगम बहुत ही चिपचिपा (चिपकने वाला) होता हैं। रोगी की नाड़ी मंद चलती हैं।
फेफड़ों में बलगम जमा होने के कारण रोगी को सांस लेने में बहुत कठिनाई होती हैं तथा सांस तेज चलती हैं। रोगी सांस लेने में रूकावट अनुभव करता हैं तथा उसकी पसलियों में दर्द रहता हैं।
जरूर पढ़ें: बाल झड़ने से रोकने के खास जबरदस्त उपाय
घरेलू चिकित्सा (fever remedies at home)
- अदरक और तुलसी के पत्तों का रस एक – एक चमच्च तथा एक चमच्च शहद मिलाकर रोगी को तीन बार दें।
- एक भिलावां लेकर उसे आग पर गर्म करें। उसमें लोहे की सलाख से छेड़ करके दो बूँद तेल एक गिलास गर्म दूध में पका लें। तेल को दूध में अच्छी तरह मिलाकर रोगे को पिला दें और रोगी को कपड़ा ओढ़ा कर पसीना दिलवाएं। ऐसा दिन में एक ही बार करें।
- सरसों के तेल या देसी घी को गर्म करके उसमें चुटकी भर नमक डालकर मालिश करें।
- तारपीन के तेल में बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर उसमें थोड़ा सा कपूर मिला लें व इससे मालिश करें।
- तीन काली मिर्चें और तीन तुलसी के पत्ते को लेकर पानी में घोंटकर सुबह – शाम लें।
- आधा चमच्च लहसुन का रस , 1 कटोरी दूध व 4 कटोरी पानी उबालें। एक चौथाई रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा कर लें। यह काढा दिन में तीन बार लें।
- लहसुन का एक – एक चमच्च रस बराबर मात्रा में गर्म पानी मिलाकर दिन में तीन बार दें।
- तुलसी के ताजा 20 पत्तों को 5 काली मिर्चों के साथ पीस लें और पानी में घोलकर सुबह – शाम पिएं। (3)
आयुर्वेदिक औषधियां
- स्वर्णभूपति रस , वृहत कस्तूरी भैरव रस , विश्वेश्वर रस , गोरोचानादि वटी , संजीवनी वटी , कफकेतु रस।
मलेरिया – Malaria
कारण
यह रोग प्लाजमोडियम नामक जीवाणु से फैलता हैं और मादा एनाफेलीज मच्छर द्वारा मनुष्य को काटे जाने पर इसका संक्रमण होता है। मादा एनाफेलीज मच्छर द्वारा काटे जाने पर प्लाजमोडियम नामक जीवाणु शरीर में प्रवेश करता हैं।
प्रवेश के लगभग 9 दिन बाद अपनी संख्या में हजारों गुणा वृद्धि करके प्लाजमोडियम शरीर में मलेरिया बुखार को उत्पन्न करते हैं।
लक्षण
प्लाजमोडियम की विभिन्न तीन प्रकार की किस्मों के संक्रमण के आधार पर बुखार एक दिन, दो दिन या तीन दिन छोड़कर आता हैं।
बुखार चढ़ने से पहले रोगी को ठंड लगती हैं। कुछ देर के बाद पसीना आकर बुखार उतर जाता हैं।
घरेलू चिकित्सा (fever home remedies)
- 5 तुलसी के पत्ते व 3 काली मिर्च घोटकर सुबह – शाम रोगी को पिलाएं।
- तीन ग्राम सत्यानाशी के साबुत बीज गर्म पानी से खिलाएं।
- फिटकरी को भूनकर पीस लें। एक ग्राम की मात्रा में सम भाग मिसरी मिलाकर सुबह – शाम तीन दिन तक दें।
- बारीक पीसा हुआ कुटकी का 1 ग्राम चूर्ण , समभाग चीनी मिलाकर दो से तीन बार रोगी कोताजे पानी के साथ 3 दिन तक दें।
- 1 ग्राम कुटकी व 1 ग्राम काली मिर्चों का चूर्ण , 1 चमच्च तुलसी का स्वरस व 1 चमच्च शहद के साथ सुबह – शाम दें।
- खाने का पिसा हुआ साधारण नमक तवे पर धीमी आंच में भूनें। भुनते – भुनते जब कॉफ़ी के रंग का हो जाए , तो उतार कर ठंडा करके बोतल में भरकर रख लो।
- ज्वर आने के नियत समय से थोड़ी देर पहले 1 चमच्च भुना हुआ यह नमक एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर लें। इसकी एक खुराक बुखार उतर जाने पर भी लें। यह दवा लगातार दो दिन तक लें।
- बेलगिरी के फूल व तुलसी की पत्तियां बराबर मात्रा में लेकर पीस लें व उनका रस निकाल लें। 1 चमच्च रस , 1 चमच्च शहद के साथ दिन में तीन बार लें।
- रोगी को दिन में तीन – चार बार चकोतरे खिलाएं। चकोतरे में प्राकृतिक रूप से कुनैन विद्यमान होती हैं।
आयुर्वेदिक औषधियां
- सप्तपर्ण घनवटी , महाज्वरांकुश रस , कृष्णचतुर्मुख रस , चंदनादि लौह , विषम ज्वारंतक लौह , सर्वज्वरहर लौह आदि।
पेटेंट औषधियां
चिराकिन गोलियां (झंडु) , सुदर्शनधनवटी (वैद्यनाथ)
मियादी बुखार/आंत्र ज्वर -Typhoid fever
कारण
इसे मंथन ज्वर , आंत्र ज्वर , मोतीझारा इत्यादि नामों से भी जाना जाता हैं। इस रोग में लगातार कई दिनों तक बुखार रहता हैं। यह प्रायः गर्मी के मौसम में फैलता हैं।
आँतों में मुख्य रूप से इसका संक्रमण होने के कारण ही इसका नाम आंत्र ज्वर पड़ा।
सालमैनोला टाइफी नामक जीवाणु से फैलने वाला यह रोग अशुद्ध पानी व भोजन के कारण होता हैं।
लक्षण
जीवाणु संक्रमण के 12 – 14 दिन के बाद इस रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। 12 – 14 दिन के इस समय में शरीर में सुस्ती , सिर में दर्द व भूख की कमी रहती हैं। 12 – 14 दिन बाद बुखार चढ़ता हैं , जो बढ़ता चला जाता हैं।
सुबह बुखार कम होता हैं , परन्तु सांयकाल से बढना शुरू हो जाता हैं। रोगी सुस्त रहता हैं , उसका पेट कुछ अफारा हुआ व स्पर्श करने पर गर्म प्रतीत होता हैं।
प्यास अधिक लगती हैं। प्रथम सप्ताह के अंत में पेट तथा छाती पर मोती जैसे चमकते हुए छोटे – छोटे दाने नजर आने लगते हैं। दुसरे सप्ताह में दाने लुप्त होने लगते हैं व बुखार उतरने लगता हैं। यदि चिकित्सा न की जाए , तो यह बुखार लम्बे समय तक चलता हैं।
घरेलू चिकित्सा (fever remedies at home)
यदि दाने निकलने शुरू हो गए हो या न निकले हों और प्रयोगशाला की जांच से मोतीझारा की पुष्टि हो जाए , तो निम्न योग प्रयोग में ले आएं :
- 2 पके हुए अंजीर , 5 दाने मुनक्के व 3 ग्राम खूबकलां को 400 ग्राम पानी में पकाएं। आधा बचा रहने पर अच्छी तरह मलकर छान लें और मिसरी मिलाकर रोगी को पिलाएं। यह दवा सुबह शाम , दोनों समय दें। जब तक दाने निकलते रहे , दवा देते रहे। साथ में तुलसी के 5 – 5 पत्ते भी खिलाते रहे। इसके सेवन से 3 दिन से लेकर 1 सप्ताह के अन्दर बुखार उतर जाएगा। यदि बीच में दस्त लग जाएं , तो दवा बंद कर दें।
- केसर 1 ग्राम व 15 तुलसी के पत्ते पीसकर पानी में घोलकर रोगी को पिलायें।
- यदि दाने खूब निकल आए हो , तो निम्न योग दें – 250 ग्राम ऊर्क गावजबां मिट्टी के सकोरे में लेकर उसमें 19 हरे पत्ते लिसौड़ा के भिंगो दें। प्यास लगने पर यह दवा मिश्री डालकर पिलाएं , इससे 3 – 4 दिन में बुखार उतर जाएगा।
- 1 ग्राम केसर , 2 ग्राम काली मिर्च , 5 ग्राम लौंग , 5 ग्राम जावित्री व 10 ग्राम तुलसी के पत्ते लेकर साफ़ पानी के साथ पीस लें। पिसने पर इसमें 5 ग्राम मोती भस्म अच्छी तरह से मिला लें और इसकी 125 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। एक – एक गोली सुबह – शाम गुनगुने पानी के साथ दें।
- एक पका केला और चार चमच्च शहद मिलाकर सुबह – शाम लें।
आयुर्वेदिक औषधियां
सौभाग्य वटी , सिद्ध प्राणेश्वर रस , संजीवनी वटी , सितोपलादि चूर्ण , ज्वरहर लौह , पंचतिक्तादि क्वाथ आदि।
पेटेंट औषधियां
खमीरा मरवारीद ख़ास (हमदर्द) जो कि एक यूनानी दवा हैं , आंत्र ज्वर में दी जाए तो दाने शीघ्र व सुगमता से निकल आते हैं।
सर्दी बुखार का घरेलू उपचार (Fever home remedies)
सर्दी बुखार आज की समय में बहुत आम बीमारी हैं जो कभी भी किसी को भी हो सकती हैं, सर्दी जुखाम में सबसे तुलसी की पत्तिया फायदेमंद होती हैं।
बुखार में लोग दवाई लेते हैं तो उनका बुखार उतर जाता हैं, पर बार बार दवाई लेना भी हमारे स्वस्थ्य के लिए सही नहीं हैं।
इसलिए कुछ घरेलु उपाए की सहायता से आप जल्दी सही हो सकते हैं आइये हम बताते हैं सर्दी बुखार को सही करने के लिए घरेलु उपचार क्या हैं।
तुलसी की चाय :-
एक कप पानी में 5 से 6 तुलसी पत्तिया मिलके उसको 10 मिनट तक उबलने के बाद एक कप में छान ले दिन में कम से कम 2 बार इसका सेवन करे आपकी सर्दी जल्द ख़त्म हो जाएगी।
तुलसी वाला दूध :-
अगर बुखार कम नहीं हो रहा है, तो तुलसी वाला दूध पीना आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा। इसके लिए आधा लीटर दूध में कुछ तुलसी के पत्ते और दालचीनी उबालें।
इसके बाद इसमें थोड़ी मात्रा में चीनी मिलाएं। इस दूध को पीने से बुखार से राहत मिलेगी। इसके अलावा यह वायरल फीवर में भी फायदेमंद है।
अदरक वाली चाय :-
अगर आपको सर्दी हैं और बुखार भी हैं तो आप दिन में 2 से 3 बार अदरक वाली चाय का सेवन करे इसको पीने से आपके शरीर को गर्मी भी मिलेगी और आपको सर्दी में राहत भी मिलेगी।
अगर आपको ये लेख (सर्दी जुकाम बुखार का घरेलू उपचार) अच्छा लगा हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा SHARE करिए।
इतनी लंबी पोस्ट लिखने मे बहुत रिसर्च, समय और मेहनत लगा है तो एक COMMENT या SUBSCRIBE तो बनता ही है।
स्वस्थ रहें, खुश रहें 💖
Pingback: अंजीर के 35 गजब फायदे जो करे 100 रोग दूर-Anjeer Ke Fayde | Thorahatke
Pingback: काजू के ये 21 फायदे आपको कर देंगे हैरान | Kaju Khane Ke Fayde - Thorahatke
Pingback: सूखी खांसी से तुरंत छुटकारा पाने का घरेलू इलाज | Khansi Ka Dawai - Thorahatke
Pingback: अमृत के जैसा है लहसुन खाली पेट खाना | Lahsun Ke Fayde - Thorahatke
Pingback: सोने जैसा है मेथी के हैरतअंगेज फायदे | Fenugreek Seeds In Hindi - Thorahatke
Pingback: बिना ऑपरेशन पथरी का इलाज | Kidney Stone Treatment In Hindi - Thorahatke
Pingback: अगर ज्यादा चाय पीने की आदत है तो जान लें चाय पीने के नुकसान - Thorahatke
Pingback: कैसे रोकें नकसीर फूटना | नाक से खून आने पर देसी इलाज - Thorahatke
Pingback: नहीं जानते होंगे लीची के फायदे | Litchi Benefits in Hindi - Thorahatke
Pingback: खतरनाक बीमारियों को भगाए कलौंजी तेल | Kalonji oil Benefits in Hindi - Thorahatke
Pingback: साइनस क्या होता है: कारण, लक्षण और परमानेंट इलाज - Thorahatke
Pingback: अपेंडिक्स कैसे होता है और रामबाण इलाज | About Appendix in Hindi - Thorahatke