मोतियाबिंद के कारण, लक्षण और इलाज-Cataract In Hindi

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Cataract In Hindi- मोतियाबिंद आंखों का एक रोग है | यह अधिकांशतः 50 से 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होता है |

आंख की पुतली के पीछे एक लेंस होता है। पुतली पर लाइट को यह लेंस केंद्रित करता है और रेटिना पर वस्तु का साफ चित्र बनाता है। 

रेटिना से यह चित्र नेत्र तंत्रिकाओं (optic nerves) के माध्यम से दिमाग तक पहुंचता है। और हमें जो कुछ हमारी आंखें देखती हैं उसका सही चित्र दिखाई पड़ता है।

पुतली के पीछे का यह लेंस बिलकुल साफ होता है तभी लाइट आसानी से पास हो पाती है।

लेकिन जब लेंस में किन्हीं कारणों से कुछ धुंधलापन आ जाता हैं तो इसमें लाइट गुजरनी बंद हो जाती हैं, लेंस के धुंधलेपन की वजह से दृष्टिपटल (Retina) तक प्रकाश नहीं पहुंच पाता है।

जिससे व्यक्ति को वस्तु साफ दिखाई नहीं देती। लेंस के इस धुंधलेपन को ही मोतियाबिंद कहा जाता है।

मोतियाबिंद अक्सर धीरे-धीरे विकसित होता है। अधिकांश लोगों में समय (उम्र) के साथ लेंस द्वारा अपनी पारदर्शिता खो देने से यह समस्या उत्पन्न होती है।

कुछ कारणों से यह कुछ new born बच्चों में व युवाओं में भी देखने को मिलता है।

इस समस्या का कोई निश्चित कारण ज्ञात नहीं है। फिर भी मुख्य कारणों में निम्न शामिल हैं – आनुवंशिकता, बुढ़ापा, आंखों में लंबे समय तक सूजन, संक्रमण या कोई चोट, कुछ दवाओं का लंबे समय तक सेवन आदि।

इसके लक्षणों में धुंधला दिखाई देना, रात को कम दिखाई देना, रंग फीके दिखाई देना, रोशनी के चारों तरफ रंगीन घेरे दिखना , चमकदार रोशनी दिखने में परेशानी होना आदि शामिल हैं।

सर्जरी को ही इसका एकमात्र इलाज माना जाता है। मोतियाबिंद की surgery का सफलता प्रतिशत (success rate) भी बहुत अच्छा है |

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मोतियाबिंद अर्थ(Motiyabind kya hai in hindi) 

एक जमाना था तब मोतियाबिंद का इलाज 60 की उम्र के बाद करना पड़ता था, और आज मोतियाबिंद किसे हो जाये इसका पता ही नहीं चलता। 

बढ़ते प्रदूषण और सूरज की ultra violet rays की वजह से हमारी आँखों में ऐसी परेशानियां आ रहीं हैं।

समय रहते हमें इनपर ध्यान देना होगा और जल्द से जल्द इसका इलाज भी करना होगा क्योंकि अगर मोतियाबिंद का इलाज नहीं हो पाता है तो आपके रोगी के सामने बड़ी समस्या भी आ सकती है।

आज के इस आर्टिकल में मैं आँखों से जुडी इस समस्या यानि की मोतियाबिंद की समस्या और इसके घरेलु उपचार लेकर आया हूँ। 

अगर आपका मोतियाबिंद शुरू ही हुआ है तो आप मोतियाबिंद का घरेलू उपचार भी कर सकते हैं। 

क्योंकि यह इलाज अभी नहीं बरसों से ऋषियों द्वारा किया जा रहा है। तो चलिए जानते है मोतियाबिंद का घरेलू इलाज

मोतियाबिंद कैसे होता है (Cataract In Hindi)

आँखों में आपने एक काला भाग देखा होगा इसी में प्रकृति द्वारा एक लेंस दिया जाता है जिसकी वजह से हम चीज़ों को देख पाते हैं। 

सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों की वजह से और प्रदुषण की वजह से यह लेंस धीरे धीरे ख़राब होने लगता है, और आँखों में दिखने वाला काला भाग सफ़ेद दिखने लगता है और हमें साफ़ दिखना बंद हो जाता है।

अगर समय रहते मोतियाबिंद का इलाज नहीं हो पाता है तो यह पकने लगता है, पकने का अर्थ है कि यह अपनी final stage में आ जाता है और इसके  फूटने का डर रहता है। 

जब यह फुट जाता है तो आँखों में सबलवाई हो जाती है, जिसकी वजह से हमें बहुत ही काम दिखाई देता है और देखने की क्षमता खत्म हो जाती है, इसलिए मोतियाबिंद का जल्दी से जल्दी इलाज कराना चाहिए।

क्या मोतियाबिंद का ऑपरेशन ज़रूरी है:

अगर आँखों में मोतियाबिंद बनना शुरू हुआ है तो इसे दवाओं से सही किया जा सकता है। cataract operation तब ही कराना चाहिए जब cataract control में न आ पाए। homeopathy और Ayurveda में cataract का treatment घर पर ही किया जा सकता है।

मोतियाबिंद को सही करने के घरेलू नुस्खों को आजमाकर आप अपना मोतियाबिंद जड़ से खत्म कर सकते हैं।

इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको मोतियाबिंद का घरेलू इलाज बताऊंगा साथ ही मोतियाबिंद का होम्योपैथिक इलाज भी बताऊंगा।

मोतियाबिंद का कारण (Causes of Cataract In Hindi)

मोतियाबिंद होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन जैसा की मैंने पहले भी बताया कि सूरज की रौशनी के कारण और प्रदुषण के कारण आँखों पर ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है।

जिसके कारण से कम उम्र में ही cataract होना शुरू हो जाता है, जो की एक टाइम पहले 60 के बाद ही होता था और काम लोगों को ही होता था। लेकिन विज्ञानं के हिसाब से मोतियाबिंद होने के कई कारण हो सकते हैं।

  • सूरज की U V rays
  • प्रदुषण का प्रकोप
  • चोट लगने के कारण
  • तेज़ रौशनी के कारण
  • धमनी रोग के कारण
  • डायबिटीज के कारण
  • घाव के कारण

मोतियाबिंद का लक्षण (Symptoms of Cataract In Hindi)

अधिकतर मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरूआत में दृष्टि प्रभावित नहीं होती है, लेकिन समय के साथ यह आपकी देखने की क्षमता को प्रभावित करता है।

इसके कारण व्यक्ति को अपनी प्रतिदिन की सामान्य गतिविधियों को करना भी मुश्किल हो जाता है। मोतियाबिंद के प्रमुख लक्षणों में:

  • दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता
  • बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी
  • रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव क्योंकि लेंस एक फ़िल्टर की तरह काम करता है
  • रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना जैसे कि सामने से आती गाड़ी की हैडलाइट से आँखें चैंधियाना
  • दिन के समय आँखें चैंधियाना
  • दोहरी दृष्टि (डबल विज़न)
  • चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना

मोतियाबिंद का इलाज इन हिंदी (Home Remendies Of Cataract in hindi)

अगर आपका cataract अभी शुरू ही हुआ है तो आप घरेलू नुस्खों से ही मोतियाबिंद का देसी इलाज घर बैठे कर सकते हैं।

नीम्बू और सफ़ेद प्याज:

नीम्बू और सफ़ेद प्याज की मदद से मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है। इसके लिए आपको चाहिए 9 चम्मच छोटी मक्खी का शहद, एक चम्मच सफ़ेद प्याज, एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह शाम एक एक बूंद दोनों आँखों में डालें।

इससे शुरुआत में होने वाला मोतियाबिंद खत्म होने लगता है।

नीम्बू और सेंधा नमक:

नींबू और सेंधा नमक का प्रयोग मोतियाबिंद हटाने के लिए किया जाता है। एक चम्मच नींबू के रास में चुटकी भर सेंधा नमक मिलाकर सुबह शाम एक एक बूँद अपनी आँखों में डालें जिससे की आपका मोतियाबिंद सही हो जायेगा।

पालक और गाजर का रस:

पालक 120 ग्राम रस और 300 ग्राम , अब दोनों को आपस में मिलाकर पिएं और ऐसा रोज़ पीते रहने से मितियाबिंद का बढ़ना रुक जाता है।

रस पीते रहें और साथ में आँखों में डालने के लिए एक नुस्खे का प्रयोग करें जिससे मोतियाबिंद सही हो सके।

मोतियाबिंद की आयुर्वेदिक इलाज(Motiyabind ka ayurvedic ilaj)

पिसा धनिया:

हरे धनिया को अच्छे से पीस लें और अब इस धनिया को उबले हुए पानी में एक चम्मच डाले। इस पानी की 2 बूँद दोनों आँखों में सुबह शाम डाले।

ऐसा करने से मोतियाबिंद का बढ़ना रुक जाता है और धीरे धीरे मोतियाबिंद सही होने लगता है।

शहद :

ऊपर एक नुस्खे में शहद का प्रयोग था लेकिन केवल शहद के प्रयोग से भी बढ़ता हुआ मोतियाबिंद या cataract रोक जा सकता है।

ये तो रहे cataract treatment के घरेलू उपचार, लेकिन इसके साथ आपको अपने खाने को बदलना बगत ज़रूरी है। अगर आप हेल्थी फ़ूड नहीं खाएंगे तो आँखों को पोषण कहा से मिलेगा। इस लिए अपने रोज़ के नियम में फलों को शामिल करें या जूस पिएँ।

आँखों की रौशनी बढ़ने के लिए शर्दियों में आप एक जूस बना सकते हैं इसको कैसे बनाना है चलिये जानते हैं।

1 आँवला, 1/2 नीम्बू, 2 गाजर, 1/2 चुकंदर, थोड़ी सी अदरक, 8 काली या सफ़ेद मिर्च, काला नमक स्वादानुसार।

सभी के mixer में डालकर अच्छे से मिलाये और बाद में  छानकर पी लें। रोज़ाना पीने से आपको कभी मोतियाबिंद नहीं होगा और आँखों की रोशनी कभी कम नहीं होगी।

मोतियाबिंद की आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine Cataract in hindi)

 मोतियाबिंद की शुरुआती अवस्था में भीमसेनी कपूर को मादा दूध में घिसकर नियमित रूप से लगाने से ठीक हो जाता है।

* 3 ग्राम हल्के मोती का पाउडर और 12 ग्राम काली सुरमा लें। अच्छी तरह से घुट जाने पर इसे साफ शीशी में रख लें और सोते समय अंजन की तरह आंखों पर लगाएं। यह मोतियाबिंद को ठीक करता है।

* छोटे पीपरकोर्न, लाहौरी नमक, समुद्री फेन और काली मिर्च 10-10 ग्राम लें। इसे 500 मिलीलीटर गुलाब के अर्क या सौंफ के अर्क में 200 ग्राम काली सुरमा के साथ इस तरह घोलें कि सभी अर्क इसमें भिगो दें। अब इसे रोजाना आंखों में लगाएं।

* 10 ग्राम गिलोय का रस, 1 ग्राम शहद, 1 ग्राम सेंधा नमक को मिलाकर बारीक पीस लें। आंखों में रोजाना इसका इस्तेमाल करने से मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।

* मोतियाबिंद में, आंखों में उपरोक्त किसी भी एक दवा को लगाने से सभी प्रकार के मोतियाबिंद धीरे-धीरे गायब हो जाते हैं। सभी दवाओं का परीक्षण किया जाता है।

खाने की दवाएं-

आंखों में इस्तेमाल होने वाली दवा के साथ-साथ जड़ी-बूटियों का सेवन भी बहुत फायदेमंद साबित होता है। एक योग है जो सभी प्रकार के मोतियाबिंद में फायदेमंद है-

* 500 ग्राम सूखे आंवले की गुठली, 500 ग्राम भृंगराज के पूरे पौधे, 100 ग्राम बाल हरिताकी, 200 ग्राम सूखे गोरखमुंडी के फूल और 200 ग्राम सफेद पुनर्नवा को लेकर सभी औषधियों को बारीक पीस लें।

इस पाउडर को 250 मिलीलीटर अमरबेल के रस और 100 मिलीलीटर मेहंदी के पत्तों के रस में अच्छे प्रकार के काले पत्थर के खरल में मिलाएं। इसके बाद, पैन में 25 ग्राम शुद्ध भल्लातक चूर्ण पाउडर मिलाएं और इसे तब तक लगातार हिलाएं जब तक यह सूख न जाए।

इसके बाद इसे छानकर कांच के बर्तन में रख लें। रोगी की शक्ति और स्थिति के अनुसार, 2 से 4 ग्राम सुबह-शाम खाली पेट लें।

मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा(Homeopathy For Cataract)

मोतियाबिंद का होमियोपैथी से इलाज करना चाहते हैं तो वो भी जान लीजिए। अगर आप घरेलू नुस्खों को आजमाने नहीं चाहते  हैं तो आप होमियोपैथी से खुद ही मोतियाबिंद का इलाज कर सकते हैं।

Dr Reckeweg ने अपने R1 से लेकर R89 तक ड्राप निकालें हैं जिनकी मदद से आप अपना स्वयं इलाज कर सकते हैं।

तो अगर आप cataract के लिए इलाज चाहते हैं तो आपको Reckeweg की R78 लें जिसका पूरा नाम है Eye care drop for oral administration. इसके लिए आपको इस ड्राप को दिन में 3 बार 20-20 बूंद पीना है।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए (cataract in hindi)

मोतियाबिंद को केवल इसलिए नहीं हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह मौजूद है। बहुत से लोगों को मोतियाबिंद होता है जो धुंधली दृष्टि का कारण नहीं बनता है, न ही दैनिक जीवन की गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है या उन्हें सक्रिय और उत्पादक जीवन जीने से रोकता है।

ऐसे मामलों में, इन व्यक्तियों को अपने मोतियाबिंद को हटाने के लिए अनावश्यक सर्जरी नहीं करवानी चाहिए।

हालांकि, अगर किसी व्यक्ति की दृष्टि धुंधली है जिससे गाड़ी चलाते समय प्रिंट या संकेतों को पढ़ना मुश्किल हो जाता है; रात में गाड़ी चलाते समय नज़र को चौंधिया देता है; या बुनाई, क्रॉचिंग या कार्ड गेम जैसे शौक में शामिल होने में कठिनाई होती है, तो यह मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार करने का समय है।

संक्षेप में, यदि किसी व्यक्ति को मोतियाबिंद और परिणामी धुंधली दृष्टि है जिससे उसे कुछ भी करना मुश्किल हो जाता है और उसे करने की आवश्यकता होती है, तो मोतियाबिंद सर्जरी पर विचार करने का समय आ गया है।

यदि दोनों आंखों में मोतियाबिंद है जिसके लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है, तो सर्जरी आमतौर पर कई हफ्तों के अंतराल पर की जाती है।

एक ही समय में दोनों आंखों पर मोतियाबिंद सर्जरी की सिफारिश नहीं की जाती है क्योंकि दोनों आंखों को प्रभावित करने वाली जटिलताओं की संभावना है; सबसे ज्यादा चिंताजनक संक्रमण है।

मोतियाबिंद के ऑपरेशन में खर्च(motiyabind operation cost/cataract in hindi)

मोतियाबिंद का आपरेशन लगभग हर मेडिकल कालेज में मुफ्त में उपलब्ध है।

यदि आप छोटे नर्सिंग होम में कराना चाहते हैं तो 5000–10000 रुपये में हो जाएगा

जबकी बङे अस्पताल में 40,000 रुपये तक खर्च होगा।

पैसे के अनुसार लेंस के क्वालिटी और आंख में लगने वाले चीरे की साईज में अन्तर होता है ।

मोतियाबिंद कि रोकथाम करने के उपाय (Cataract in hindi)

बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिनकी मदद से आप मोतियाबिंद कि रोकथाम और इसकी प्रगति को कम कर सकते हैं।

जैसे कि अपनी आंखों को पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) से बचाना, सिगरेट कि धुआं से बचना और सिगरेट का सेवन नहीं करना, शराब का सेवन नहीं करना या कम से कम शराब पीना आदि मोतियाबिंद के विकास को कम करने में मदद करते हैं।

स्वाभाविक रूप से मोतियाबिंद की संभावना को कम करने के कुछ संभावित तरीके नीचे दिए गए हैं।

अपनी डाइट को स्वस्थ बनाएं

अपनी डाइट में फल, सब्जियों, ऑयली फिश और साबुत अनाज को शामिल करें क्योंकि ये मोतियाबिंद होने कि संभावना को कम करने का काम करते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स, मिनरल्स और पाइथोकेमिकल्स जैसे कि विटामिन ए, सी और ई, ल्यूटिन, जीक्सान्थिन और ओमेगा 3 फैटी एसिड संभावित रूप से मोतियाबिंद के विकास को रोकने में मदद करते हैं।

अपने खान पान को स्वस्थ बनाएं क्योंकि स्वस्थ और संतुलित आहार हमेशा शरीर और आंखों के लिए फायदेमंद होता है।

अपनी आंखों को पराबैंगनी विकिरणों से बचाएं

अपनी आंखों को पराबैंगनी विकिरणों से बचाना बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए आप एक बड़ी हैट (Wide-brimmed Hat), स्कार्फ या दुपट्टे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

क्योंकि ये आपकी आंखों को सूरज से आने वाली नुकसानदायक किरणों से बचाने का काम करते हैं।

इन सबके अलावा, आप पोलराइज्ड सनग्लासेस, फोटोक्रोमिक लेन्सेस और कॉन्टैक्ट लेन्सेस का इस्तेमाल करके भी पराबैंगनी विकिरणों से खुद कि आंखों को बचाने के लिए कर सकते हैं।

पराबैंगनी विकिरण को एक ऐसे कारक के रूप में जाना जाता है जो मोतियाबिंद के साथ साथ एज-रिलेटेड मकुलर डीजेनेरेशन (age-related macular degeneration (AMD) कि संभावना को बढ़ाने का काम करता है।

अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल करें

ब्लड शुगर बढ़ने से मोतियाबिंद होने कि संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने ब्लड शुगर को संतुलित रखें। हाई ब्लड शुगर के कारण डायबेटिक रेटिनोपैथी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

डायबेटिक रेटिनोपैथी होने कि स्थिति में लाइट-सेंसिटिव रेटिना (Light-sensitive Retina) पर नए ब्लड वेसेल्स बन जाते हैं जिसके कारण रेटिनल स्वेलिंग (Retinal Swelling) और हेमरेज (Hemorrhages) कि समस्या पैदा होती है।

जरूरत मुताबिक ही स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें

स्टेरॉयड बेशक जिंदगियां बचाते हैं लेकिन इनका अधिक इस्तेमाल करने से आपके सामने ढेरों परेशानियां और बीमारियां खड़ी हो सकती हैं। अधिकतर लोग बिना डॉक्टर से परामर्श किए दवाओं का सेवन (Self-medicate) करते हैं जो कि अच्छी बात नहीं है।

केमिस्ट भी स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट्स पर बिना ध्यान दिए इन्हे लोगों को निर्धारित करते हैं। आपको स्टेरॉयड का इस्तेमाल बहुत ही सख्ती के साथ केवल मेडिकल एडवाइस (Medical Advice) पर ही करनी चाहिए।

इस तरह से आप मोतियाबिंद कि रोकथाम करने के साथ साथ इसके विकास को भी काफी धीमा (Slow Down) कर सकते हैं।

सिगरेट पीना बंद कर दें

आंख के डॉक्टर का मानना है कि रेडिएशन कि तरह सिगरेट का सेवन भी मोतियाबिंद के साथ साथ एज-रिलेटेड मकुलर डीजेनेरेशन (age-related macular degeneration (AMD) के होने कि संभावना को बढ़ाता है।

सिगरेट का सेवन करने से मोतियाबिंद कि समस्या पैदा होने के साथ साथ मोतियाबिंद के विकास कि दर तीन गुना अधिक हो जाती है।

अगर आप मोतियाबिंद की रोकथाम या इसके विकास की दर को कम करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले सिगरेट के सेवन को बंद करना होगा।

आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें

डॉक्टर से बात करने के बाद आप उस आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसमें लेनोस्टेरॉल मौजूद होता है। लेनेस्टरोल एक ऑर्गैनिक कंम्पाउंड है जो आंखों की रौशनी को बेहतर बनाने का काम करता है।

यह उन सभी प्रोटीन को अलग कर देता है जिनके एक साथ जमा होने के कारण मोतियाबिंद की समस्या पैदा होती है। मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए आई ड्रॉप्स को एक बेहतर और प्रभावी इलाज के रूप में देखा जाता है।

लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है की आई ड्रॉप्स की मदद से आपके आंखों की परेशानी पूरी तरह से ठीक हो जाए।

आंखों को चोट लगने से बचाएं (Cataract in hindi)

आमतौर पर मोतियाबिंद की समस्या उम्र ढलने के बाद होती है लेकिन ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद (Traumatic Cataracts) का उम्र से कोई लेना देना नहीं है। यह समस्या आपको कभी भी किसी भी उम्र में हो सकती है।

इसलिए यह आवश्यक है की आप अपनी आंखों पर किसी प्रकार का चोट न लगने दें। इसके लिए आप ढेरों उपायों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

आप प्रोटेक्टिव आईवियर जैसे की चश्मा और आई शील्ड्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये खतरनाक हालातों में आपकी आंखों की रक्षा कर सकते हैं तथा उन्हें चोट लगने से बचा सकते हैं।

नियमित रूप से डॉक्टर से मिलें

खासकर एक उम्र के बाद चाहे आपको मोतियाबिंद के कोई लक्षण हों या न हों, आपको नियमित रूप से डॉक्टर से मिलकर अपने आंखों की जांच करवानी चाहिए।

नियमित रूप से आंखों का चेक-अप करवाने से डॉक्टर शुरुआत में ही मोतियाबिंद, ग्लोकोमा, मकुलर डीजेनेरेशन और दूसरी दृष्टि से संबंधित बीमारियों के लक्षणों के बारे में पता चल जाता है।

जिसकी वजह से जल्द से जल्द इलाज की प्रक्रिया को शुरू कर बीमारी को उसकी शुरुआत में ही हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है।

अगर इन सबके बावजूद भी मोतियाबिंद की समस्या ठीक नहीं होती है तो फिर आपको डॉक्टर से मिलकर सर्जरी के बारे में बात करनी चाहिए। सर्जरी की मदद से ही मोतियाबिंद की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

सर्जरी के दौरान धुंधले लेंस को लेजर मशीन के जरिए बाहर निकालकर उसकी जगह पर एक आर्टिफिसियल लेंस को फिट कर दिया जाता है। यह एक बहुत ही सरल और सफल प्रक्रिया है।

इसके दौरान या बाद में आपको जरा भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

दवा का इस्तेमाल करने या लाइफस्टाइल में बदलाव लाने के बाद आप मोतियाबिंद के विकास की दर को कुछ समय के लिए बस धीमा ही कर सकते हैं।

इनकी मदद से मोतियाबिंद को ठीक नहीं किया जा सकता है। सर्जरी ही मोतियाबिंद का सबसे सटीक और परमानेंट इलाज है।

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