चिकित्सा विशेषज्ञों(medical expert) का कहना है कि हीटस्ट्रोक से पीड़ित लोगों को लकवा/फ़ालिज के साथ-साथ दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि हीट स्ट्रोक से न केवल लकवा होता है, बल्कि इससे दिल का दौरा पड़ सकता है, ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है और मानव जीवन को खतरे से दो-चार होना पड़ सकता है।
अपोलो हॉस्पिटल के एक पूर्व कार्यकारी और एक आपातकालीन सेवा विशेषज्ञ डॉ. हर्षवर्धन ने Thorahatke(थोड़ाहटके) को बताया कि हीटवेव(heatwave) एक व्यक्ति को तीन तरह से प्रभावित कर सकती है, एक असर बिल्कुल मामूली है जिसके कारण त्वचा लाल हो जाती है।
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दूसरा है हीट एक्जाशन(heat exhaustion), जो शरीर के तापमान को बढ़ाता है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति, शरीर में पानी और नमक की मात्रा में सुधार करके ठीक हो जाता है।
हीटस्ट्रोक में रोगी की स्थिति गैर हो जाती है। हीटस्ट्रोक के कारण शरीर का तापमान बहुत तेजी से बढ़ता है और शरीर ठंडा नहीं होता है। इस स्थिति में रोगी बेहोश भी हो सकता है। बहुत ज़्यादा धूप में रहने, लगातार सूर्य में काम या शारीरिक परिश्रम के नतीजे में हीटस्ट्रोक होता है।
डॉ हर्षवर्धन का कहना था कि हीटस्ट्रोक तब हो सकता है जब मानव शरीर का तापमान 104 डिग्री फ़ारेनहाइट या इससे अधिक हो जाए।
heatstroke का एक अन्य कारण पानी की कमी (dehydration) है। निर्जलित व्यक्ति गर्मी को खत्म करने के लिए उतनी तेजी से पसीना नहीं निकाल सकता, जिसकी वजह से शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि हीटस्ट्रोक मानव शरीर की शीतलन प्रणाली(cooling system) को प्रभावित करता है जिसके कारण body का temperature बहुत बढ़ जाता है, इंसान को चक्कर/मिर्गी आते हैं, हीटस्ट्रोक से पीड़ित लोग शायद कम ही बचते हैं, पूरी दुनिया में हीटस्ट्रोक से बहुत संख्या में लोग मरते हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को गर्मी लगे या लू लग जाए तो उसे ठंडी जगह पर रखें, पंखा चालू करें, अगर एसी हो तो A.C चालू करें, कमरे में हवा के आने की व्यवस्था करें, बगल में आइस पैक रखे जाओ, सिर पर एक गीला तौलिया रखो, पानी और फलों का जूस दो।
उनका कहना था कि हीट स्ट्रोक के कारण भी हार्ट अटैक हो सकता है, अगर किसी को पहले कोई पुराना रोग हो, ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी(heart disease) है, तो ऐसे लोगों के ज़िंदगी के लिए जानलेवा होता है।
गर्मी के वक़्त में व्यायाम करने से मन किया जाता है क्योंकि हीटवेव में जिस्मानी मेहनत खतरनाक होती है. हमने 2015 में हीटवेव देखा, हीटस्ट्रोक(लू लगने) के कारण बड़ी संख्या में मौतें हुईं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली कंक्रीट का जंगल बन गया है, धुआं छोड़ती गाड़ियां पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा रहे हैं, पेड़ खत्म होते जा रहे हैं जिसके वजह से तापमान बढ़ता जा रहा है।
कार्डियोलॉजिस्ट और मित्तल हॉस्पिटलएंड रिसर्च सेंटर अजमेर के हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. विवेक माथुर ने Thorahatke को बताया कि हीटवेव में लोग सोचते हैं कि प्रभावित व्यक्ति को हीटस्ट्रोक होगा,लू लग जाएगी, बुखार होगा और ठीक हो जाएगा।
Heatwave(ग्रीष्म लहर) की वजह से इंसान को निर्जलीकरण (जिस्म में पानी की कमी) होता है, पसीने बहने से शुगर और रक्तचाप(blood pressure) कंट्रोल में नहीं रहता है, व्यक्ति का खून गाढ़ा हो जााता है और इसके नतीजे में दिल का दौरा(heart attack) पड़ने की संभावना बढ़ जााता है।
डॉ. विवेक माथुर ने कहा कि शहरियों को चाहिए की तेज धूप में घर से बाहर कम से कम निकलें, पानी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें, घर से निकलने को मजबूर हों तो सिर ढक कर निकलें, पानी या कोई फ्रेश जूस लेकर बाहर जाएं, जिसे समय-समय पर पीते रहें।
गर्मियों में हल्के रंग के मुलायम कपड़े पहनें, हमने देखा है कि 10-20 साल पुराने लोग गर्मियों में सफेद रंग की पैंट शर्ट पहनते थे क्योंकि गहरा या काला रंग धूप/गर्मी को अंदर अवशोषित करता है और फिर शरीर को प्रभावित करता है।
उन्होंने कहा, एक बात ध्यान रखें कि “ स्ट्रोक की सूरत में केवल लकवा नहीं होता है, इससे हार्ट अटैक भी हो सकता है, ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है और व्यक्ति के जीवन को खतरे में डाल सकता है,”। (1)
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