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Is Moon Landing Fake In Hindi(क्या Moon Landing एक साजिश थी?)
Is Moon Landing Fake:- हम सब जानते है, नील आर्मस्ट्रांग ने चाँद पर 1969 में पहला कदम रख कर दुनिया भर में इतिहास बनाया। यह एक अविस्मरणीय पल था।
इसकी वजह से अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच चल रहे शीत युद्ध में अमेरिका ने जीत हासिल की। अमेरिका ने स्पेस में एक मुकाम हासिल किया किया।
इसमें करीब 30 मिलियन डॉलर यानि की आज के टाइम 150 मिलियन डॉलर खर्च हुए। परंतु आज भी लोग ये ही मानते है की मनुष्य ने चाँद पर कदम रखा ही नही था।
यह सब अमेरिका की एक साज़िश थी ताकि वो शीत युद्ध जीत कर अपना हक़ जमा सके।
आज 51 साल बाद भी 20 प्रतिशत लोग यही मानते है की ये एक दिखावा है. फिल्म स्टूडियो में शूट कर यह दुनिया भर में दिखाया।
आज भी लोग ऐसे सवाल करते जो हमें सोच में डालते है। तो आज हम मनुष्य के चाँद पर पहले कदम के बारे मैं सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे।
आपको कुछ ऐसी बातें बताएंगे जो दुनिया भर के Conspiracy Theorist ने दुनिया के सामने लायी और उसके ऊपर वेज्ञानिको की क्या राय है। और उसके ऊपर नासा का क्या कहना है।
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लहराता हुआ झंडा(Waving Flag)
जब नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चाँद पर पहला कदम रखा तो उसने चाँद पर अमेरिका का झंडा गाड़ा नासा ने जो वीडियोस और फोटोज दुनिया भर मैं दिखाई।
उसमे झंडा साफ तरह से दिखाई देता है तो आप लोगो को लगेगा ये तो नार्मल बात है। परंतु चाँद पर तो हवा ही नही है, तो बिना हवा के झंडा लहराना मून लैंडिंग पर काफी सवाल खड़े करता है।
लोग मानते है ये video footage धरती पर ही किसी किसी film studio मै बनाया गया है।
इस पर नासा ने बताया है झंडे को एक छोटे ट्यूब में रखा था और जब उसे बहार निकाला गया, उसपर दबाव कम होने से खुलते समय वो हिलने लगा।
नासा का ये व्याख्या(Explanation) हमारे सवालों के ठीक से जवाब नहीं देता।
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इम्पैक्ट निशान की कमी(Lack Of Impact Creator)
Moon Landing Is Fake?
अंतरिक्ष यान(Space shuttle) तो काफी शक्ति साली मशीन होती है जिनसे पृथ्वी से चाँद तक का सफर अन्तरिक्ष यात्री(Astronaut) ने पूरा किया।
उनके लैंडिंग के समय इतना तो प्रभाव होना ही चाहिए की जमीन पर गड्ढा बना दे।
ये स्पेस शटल काफी भारी भी होते है और इसके साथ साथ धूल जैसे पार्टिकल भी पाए जाते है तो स्पेस शटल उतरने पर जमीन पर उसका प्रभाव भी दिखना चाहिए।
परन्तु नासा के इन फोटोज में ऐसी कोई चीज़ नही दिखाई देती। नासा इसके बारे मैं कहती है ये स्पेस शटल इस तरह से बनाये गए थे की लैंडिंग के समय काफी कम जोर जमीन पर डाले और धीमी लैंडिंग हो।
परन्तु अस्ट्रॉनॉट के अंदर रहते इसका वजन काफी भारी होगा और इसका जमीन पर प्रभाव न दिखना मून लैंडिंग पर काफी सवाल खड़े करता है।
मल्टीप्ल लाइट सोर्स (Is Moon Landing Fake)
हमारी सूर्य बाला में केवल सूर्य एक ही रौशनी का स्त्रोत है। तो कुछ कंसपिरेसी थीअरिस्ट कहते हैं की, सभी चीज़ों की छाया एक दूसरे के समान्तर होनी चाहिए।
परन्तु नासा के विडियो और फ़ोटोज़ से साफ़ पता चलता है की छाया एक दूसरे से समान्तर नही है।
इसलिए उनका कहना है की जब ये फोटोज ली गयी तब वह एक से ज्यादा रोशनी के स्त्रोत थे और ऐसा तभी हो सकता है जब ये फोटोज किसी फिल्म सेट पर ली गयी हो।
इसके बारे मैं नासा का कहना है इसका कारण चाँद का Uneven सरफेस है चाँद पर काफी चढ़ाव और उतराव है इस वजह से ये सब दिखाई देती है।
वैन एलेन रेडीऐशन बेल्ट(Conspiracy of Fake Moon Landing In Hindi)
Van Allen Radiation Belt, यह एक Radiation बेल्ट होता है जिसमे इलेक्ट्रिकल चार्ज पार्टिकल होते है, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के वजह से यह बेल्ट पृथ्वी को घेरा रखता है।
चाँद पर जाने के लिए इस बेल्ट से गुजरना होता है। Apollo Mission पहला मिशन था जिसमे इंसानो को इस बेल्ट से गुजरना था, लेकिन उस वक़्त हमारे पास इतनी आधुनिक तकनीके नहीं थी जिनसे इंसान इसे पार कर सके.
यंहा से गुजरते समह इसकी तेज़ रेडिएशन इंसान को भस्म कर सकती है, इस वजह से इंसान का चाँद पर जाना संभव नहीं था।
रहस्यमय वस्तुएं(Unexplained Objects)
जब नासा की फोटोज दुनिया के सामने आई तब लोगो को एक अलग बात दिखाई दी astronauts के हेलमेट में एक अलग चीज़ की छाया दिखाई देती है।
यह छाया किसी तार(wire) से लटकने वाली चीज़ का है लेकिन ऐसी कोई चीज़ का चाँद पे होने का सवाल ही नहीं होता।
कुछ लोगो का मानना है कि, यह spot light है जो किसी फिल्म स्टूडियो में होती है। नासा ने फोटोज की खराब क्वालिटी(poor quality) के वजह से इस बात को मना कर दिया।
Slow Motion Walking And Hidden Cameras(Is Moon Landing Fake)
चाँद की ग्रेविटी हमारी पृथ्वी से कम है, इस वजह से वहां पे astronauts चलने की बजाय उछलते हुए लगते है।
इस बारे में लोगो का कहना है नासा ने यह video slow Motion में बनाया जिसकी वजह से अंतरिक्ष यात्री चलने की बजाय उछलते हुए दिखते है।
C Rock(Moon Landing Is Fake)
ऊपर पिक्चर में मून लैंडिंग का बहुत ही फेमस फोटो है, जिसमे C लेटर साफ़ दिखाई देता है।
लेकिन चाँद पे किसी पत्थर पे C लेटर का दिखना नामुमकीन है।
लोग मानते है इस तरह की मार्किंग फिल्म स्टूडियो में पाई जाती है, इस पत्थर को किसी ने गलती से उल्टा रख दिया होगा जिससे ये लेटर साफ़- साफ़ दिखाई देता है, नासा के पास इस चीज़ का कोई जबाब नहीं है।
क्रॉस हेयर(Cross Hair)
Astonauts ने मून मिशन के लिए फोटोज खीचने के लिए जो कैमरा इस्तेमाल किए थे उनमे scaling और दिशा के लिए यानी तस्वीर अच्छी तरह से फोकस करने के लिए Cross Hairs होते थे।
इस कारण यह cross hairs सभी तस्वीरों में दीखते है। अगर हम इन्हें बारीकी से देखे तो इनमे से कुछ cross hairs फोटोज में चीजों के पीछे दिखाई देते है।
इस वजह से लोग मानते है नासा ने चाँद के ओरिजनल फोटोज के पीछे चीजों को डालकर नए फोटोज बनाए।
नकली बैक्ड्राप(Duplicate Backdrops)
ऊपर दी इमेज में आप जो फोटो देख वो फोटो चाँद पे एक दूसरे से कई किलोमीटर दूर ली गयी थी, लेकिन आप दोनों फोटो ध्यान से देखे तो दोनों में background same दिखाई देगा।
लेकिन अगर हम दोनों फोटोज को मिलाकर देखे तो एक फोटो में spacecraft दिखाई देता है और दूसरे में नहीं।
सितारों की कमी (Lack Of Stars)
ये मेरा सबसे फेवरेट है। अगर हम आसमान में देखते है तो क्या दिखाई देता है? हजारों लाखों चमचमाते सितारे, बादल होने के बावजूद, हमें सितारे ठीक से दिखाई देते है।
चाँद पर तो बादल और pollution दोनों नहीं है तो तारे ठीक से दिखाई देने चाहिए।
परंतु नासा के किसी भी फोटो में आसमान में तारे नहीं दिखाई देते।
नासा का Moon Landing Video Fake है या नहीं?
अगर इन्हीं सभी बातों पे गौर किया जाये तो आज 40 साल बाद भी लोगो के मन में ये ही सवाल है क्या हम कभी चाँद पे गए थे या यह सब एक दिखावा था?
आपको जानकर ये हैरानी जरूर होगी 1972 के बाद 41 साल(2013)तक एक भी इंसान चाँद पे नहीं गया।
आज भले ही हम मंगल तक पहुँच गए फिर भी हमारे पास ऐसी तकनीक नहीं की हम चाँद पे जाए।
आखिर भला 1972 के बाद कोई इंसान आज तक चाँद पे क्यूँ नहीं गया ? आखिर नासा हमसे क्या छुपा रहा है ?
ऐसे ही कई सवालों के चलते आज तक इंसान का पहला कदम एक रहस्य बना हुआ है। (1,2)
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