महिलाओं को बार-बार पेशाब आना आयुर्वेदिक इलाज

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महिलाओं को बार-बार पेशाब आना: बार-बार पेशाब आना (frequent urination) एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली समस्या हो सकती है। यह न केवल आपके दैनिक जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है।

कई बड़ी-बूढ़ी महिलाओं में भी ये समस्या अधिक होती है। यहाँ तक की खांसते या हँसते समय भी पेशाब की बूंदें आ जाती है। इसका सही कारण समझकर इलाज और सावधानियां अपनाना बेहद आवश्यक है।

बार-बार पेशाब आने के कारण (Frequent urination can have causes)

बार-बार पेशाब आने के कारण (Frequent urination can have causes)
  • सर्दियों में ठंडी के कारण पेशाब बार-बार आता है।
  • शुगर के कारण भी बार बार पेशाब आता है।
  • चाय या कॉफी का ज्यादा पीने से भी बार-बार पेशाब आता है।
  • पेट में कीड़े होना भी पेशाब आने का कारण हो सकता है।
  • यूरिन ब्लैडर में इंफेक्शन के कारण भी पेशाब बार-बार आ सकता है।
  • मूत्राशय(urinary bladder) की क्षमता कम होने पर भी पेशाब बार-बार आता है ।

महिलाओं को बार-बार पेशाब आने के लक्षण (Bar bar toilet aana or jalan hone ke Symptoms)

bar bar peshab aana reason in hindi :- महिलाओं में बार-बार पेशाब आने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

  1. अक्सर पेशाब आना: यदि एक महिला को दिन में बार-बार पेशाब आ रहा है, तो यह सामान्य नहीं माना जाता। यह infection, पेशाब की नली या मूत्राशय से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है।
  2. रात को पेशाब आना (नोक्ट्यूरिया): रात में बार-बार पेशाब जाने की आवश्यकता महसूस करना, यह किडनी या मूत्राशय से संबंधित समस्या का संकेत हो सकता है।
  3. मूत्राशय का दबाव या असुविधा: पेशाब के दौरान दर्द, जलन, या भारीपन महसूस होना, मूत्राशय संक्रमण (Urinary tract infection) या अन्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
  4. पेशाब करने में कठिनाई: कभी-कभी पेशाब करते समय कठिनाई होना, या बहुत ही अधिक पेशाब का आना, मूत्राशय के असामान्य कार्य के कारण हो सकता है।
  5. सामान्य से अधिक पेशाब आना: अगर एक महिला को अत्यधिक पेशाब आ रहा है, तो यह डायबिटीज, दवाओं के प्रभाव, या अन्य शारीरिक विकारों के कारण हो सकता है।
  6. पेशाब के रंग में बदलाव: यदि पेशाब का रंग गाढ़ा, रक्तयुक्त या मलीन हो, तो यह इन्फेक्शन, किडनी या मूत्राशय से संबंधित समस्याओं को सूचित कर सकता है।
  7. पेशाब रोकने में असमर्थता (अवश्यक्ता के बाद भी पेशाब आता रहना): यह मूत्राशय के कमजोर होने या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकता है।

यदि इन लक्षणों का सामना हो, तो एक डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है, क्योंकि ये मूत्र संक्रमण, डायबिटीज, किडनी की बीमारी, या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।

Raat ko bar bar peshab aana

बार-बार पेशाब आना या पेशाब में जलन एक गंभीर समस्या है और इसे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह समस्या आगे चलकर सिरियस भी हो सकती है।

यह प्रॉब्लम संकेत देती है कि आपकी किडनी सही से काम नहीं कर रही है। ज्यादातर मूत्र रोगों का एक बड़ा कारण किडनी की खराबी होता है।

लेकिन अपने खान-पान में थोड़े से बदलाव करके आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

महिलाओं को बार-बार पेशाब आना घरेलू उपाय

आपको सबसे पहले दिनभर बहुत पानी पीना है (10 से 12 ग्लास), शरीर को विषहरण (Detox) करना है, खाने में मिर्च मसालों का कम इस्तेमाल करना है और Fast foods( बर्गर, नूडल्स, पिज्जा आदि) से बिल्कुल दूर रहना है।

इन सब के अलावा पेशाब से संबंधित समस्याओं के लिए आप चंद्रप्रभा वटी का भी सेवन कर सकते हैं। यह एक आयुर्वेदिक दवा है जो मूत्र रोगों के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी है, साथ ही यह यूरिक एसिड, मोटापा, कमजोरी, जोड़ों के दर्द और किडनी रोगों के लिए भी उपयोगी होती है।

  • रोजाना तिल या तिल से बनी चीजें खाएं।
  • रोजाना दही का सेवन करें ।
  • वृद्ध लोग रोजाना छुहारे खाएं।
  • मेथी या पालक की सब्जी खाए।
  • अंगूर खाए ।
  • थोड़ी सी हल्दी पानी के साथ रोजाना ले।

बार-बार पेशाब आना आयुर्वेदिक और जबरदस्त इलाज

  1. एक अभ्यास बताता हूँ इसमें जब आप पेशाब करने जाएं तो तेज़ धार की पेशाब को बिच में 2 सेकंड के लिए रोकें और ऐसा 2-3 दफा करें। इस दौरान उन मांसपेशियों को ढूंढने की कोशिश करें जिनके संकुचन से पेशाब रुकी है। उन मांसपेशियों को दिन में 3-4 बार संकुचित करने का अभ्यास करें। इससे पेशाब रोकने की क्षमता में भी वृद्धि होगी।
  2. पानी को गट गट करके एकसाथ पीना भूल जाओ और घूंट घूंट या चूस चूस कर पूरे मुँह में घुमा घुमा कर पीने की आदत डालें जिससे उसमे लार घुल कर पेट में जाएगी जोकि पेशाब और किडनी सम्बन्धी व्याधियों के लिए रामबाण है।
  3. श्याम तुलसी और इलाइची का काढ़ा सुबह पिएं।
  4. गोखरू, गिलोय और काले तिल का काढ़ा इसमें फायदेमंद है।
  5. दूध में 2 छुआरे/खजूर डाल कर तब तक उबालें जब दूध का रंग न बदल जाये और रात में पिएं और छुआरा अच्छे से चबा कर खाएं। इससे ग्रंथियों में तनाव आएगा।
  6. चंद्रप्रभावटी और गुच्छूरादि गूगल 1-1 गोली ले सकते हैं।
  7. सुबह हाँथ की सबसे छोटी ऊँगली को ऊपर से बार बार दबाएं ये एक्युप्रेशर पॉइंट है। इसके अलावा हाँथ के पंजे के बीच के भाग को भी दबाएं।

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