Steps of Surya Namaskar aasan: स्वस्थ काया ही एक स्वस्थ जीवन का आधार है। हम आर्थिक व सामाजिक रूप से चाहे जितने शशक्त या मजबूत हो जाएं पर जब तक हम स्वस्थ नहीं है तब तक हम ज़िंदगी का पूरी तरह मज़ा नहीं ले सकते।
वस्तुतः हम स्वास्थ को मात्र शरीर से जोड़ते हैं परंतु वास्तव में एक स्वस्थ मन भी उतना ही या उससे कुछ अधिक महत्वपूर्ण है।
तो आइए हम जानते हैं Steps of Surya Namaskar asanas–
Table of Contents
“सूर्य नमस्कार” क्या है ? (What is Sun Salutation)
Yoga Sun Salutation: “सूर्य नमस्कार” कोई नया शब्द नहीं है हालांकि, सूर्य नमस्कार के बारे में पूरी जागरूकता और इसके लाभों का ज्ञान सामान्य रूप सीमित लोगों के पास ही है।
“सूर्य नमस्कार” शब्द का शाब्दिक अर्थ है सूर्य नमन यानि सूर्य को सम्मान में नमन करना।
लगभग सभी धर्मों और रीति-रिवाजों ने प्रकृति और उसके संसाधनों का सम्मान किया है, विशेष रूप से सूर्य जिसे जीवन स्रोत के रूप में जाना जाता है।
अब विज्ञान ने भी सूर्य और उसकी उपचार शक्तियों के अनगिनत लाभों को साबित कर दिया है। विटामिन डी की कमी से रिकेट्स नामक बीमारी होती है जो सूर्य की किरणों में बहुतायत से पाई जाती है।
कैल्शियम के अवशोषण और साथ ही मजबूत हड्डियों के लिए हमें विटामिन डी की आवश्यकता होती है।
हालांकि, हानिकारक पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet rays) की उपस्थिति के कारण दोपहर और उसके आसपास सूरज के लंबे समय तक और निरंतर संपर्क उचित नहीं है।
सूर्य नमस्कार कब करें ?
समस्त यौगिक क्रियाऒं की भाँति सूर्य-नमस्कार के लिये भी प्रातः काल सूर्योदय का समय सर्वोत्तम माना गया है।
सूर्यनमस्कार सदैव खुली हवादार जगह पर कम्बल का आसन बिछा खाली पेट अभ्यास करना चाहिये।
आसन को करने का सबसे अच्छा समय सुबह-सुबह इसे खाली पेट करना है। प्रत्येक सूर्य नमस्कार में दो चक्र होते हैं, और प्रत्येक चक्र 12 योग आसन से बना होता है।
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सूर्य नमस्कार क्यूँ करें ?
इससे मन शान्त और प्रसन्न हो तो ही योग का सम्पूर्ण प्रभाव मिलता है। आज हम अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्य नमस्कार के कई लाभों के बारे में जानेंगे।
इसका उपयोग सिर्फ स्वस्थ शरीर के लिए नहीं बल्कि स्वस्थ दिमाग के लिए भी है। यह एक उत्कृष्ट हृदय व्यायाम है और पूरे शरीर में खून की बहाव को बढ़ाता है।
अच्छे स्वास्थ्य के अलावा, सूर्य नमस्कार इस ग्रह पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य का आभार व्यक्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।
इस अभ्यास के 12 चक्र करने से विभिन्न शक्तिशाली योगासन 12 से 15 मिनट में हो जाते हैं।
आसन इस तरह से बनाये गए हैं कि उनका पेट, यकृत, हृदय, आंतों, छाती, गले और पैरों पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है, जिसका अर्थ है कि सिर से पैर तक पूरे शरीर को लाभ होता है।
यह आंतों, पेट और तंत्रिका केंद्रों के समुचित कार्य को भी सुनिश्चित करता है। आयुर्वेद में, तीन बुनियादी प्रकार की ऊर्जाएं हैं, जिन्हें दोष के रूप में जाना जाता है।
जब आप प्रतिदिन इस दिनचर्या का अभ्यास करते हैं, तो वात, पित्त और कफ भी संतुलित रहते हैं।
सूर्य नमस्कार का एक चक्र औसत वजन वाले व्यक्ति के लिए 14 कैलोरी तक जलाने में मदद करता है।
अभ्यास के साथ, आपको आदर्श रूप से 108 करने में सक्षम होना चाहिए और जैसे-जैसे इस संख्या तक पहुंचने का प्रयास करते हैं, आप स्वचालित रूप से स्वस्थ व सुगठित हो जाएंगे। आइए देखें कि 30 मिनट के विभिन्न व्यायाम में आप कितनी कैलोरी जलाते हैं:
- भारोत्तोलन – 199 कैलोरी
- टेनिस – 232 कैलोरी
- बास्केटबॉल – 265 कैलोरी
- बीच वॉलीबॉल – 265 कैलोरी
- फुटबॉल – 298 कैलोरी
- साइकिल चलाना (14 – 15.9 मील प्रति घंटे) – 331 कैलोरी
- रॉक क्लाइम्बिंग – 364 कैलोरी
- दौड़ना (7.5mph) – 414 कैलोरी
- सूर्य नमस्कार – 417 कैलोरी
सूर्य नमस्कार एक संपूर्ण व्यायाम है,जिसमें आसन, प्राणायाम,बंध आदि संपन्न होते है।
या यों कहें कि सूर्य नमस्कार करने के पश्चात अन्य कोई आसन,प्राणायाम और योग अलग से करने की जरुरत नही होती है।
सही और संपूर्ण सूर्य नमस्कार करने के तरीके एवं फायदों को नीचे बताया गया है।
सूर्य नमस्कार नाम के साथ (Surya namaskar with names)
- प्रणामासन
- हस्त उत्तानासन
- उत्तानासन
- अश्व संचालनासन
- चतुरंग दंडासन
- अष्टांग नमस्कार
- भुजंगासन
- अधोमुक्त श्वानासन/पर्वतासन
- अश्व संचालनासन
- उत्तानासन
- हस्त उत्तानासन
- प्रणामासन
सूर्य नमस्कार आसन की 12 स्थितियां (12 Steps of Surya Namaskar/yoga sun salutation)
Surya Namaskar Posture/Poses: सूर्य नमस्कार आसन के लिए पहले सीधे खड़े होकर पीठ, गर्दन और सिर को एक सीध में रखें।
पहली स्थिति (प्रणामासन/Prаnаmаѕаnа-The Prayer Pose)
सूर्य नमस्कार आसन के लिए पहले सीधे खड़े होकर पीठ, गर्दन और सिर को एक सीध में रखें। दोनों पैरों को मिलाकर सावधान की स्थिति बनाएं। दोनों हाथों को जोड़कर छाती से सटाकर नमस्कार या प्रार्थना की मुद्रा बना लें।
अब पेट को अंदर खींचकर छाती को चौड़ा करें। इस स्थिति में आने के बाद अंदर की वायु को धीरे-धीरे बाहर निकाल दें और कुछ क्षण उसी स्थिति में रहें। इसके बाद स्थिति 2 का अभ्यास करें।
अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथों को कंधों की सीध में ऊपर उठाएं और जितना पीछे ले जाना सम्भव हो ले जाएं।
दूसरी स्थिति (हस्तोत्तानासन / Hаѕtаuttаnаѕаnа-Raised arms pose)
अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथों को कंधों की सीध में ऊपर उठाएं और जितना पीछे ले जाना संभव हो ले जाएं।
फिर सांस बाहर छोड़ते और अंदर खींचते हुए सीधे खड़े हो जाएं। ध्यान रखें कि कमर व घुटना न मुड़े। इसके बाद 3 स्थिति का अभ्यास करें।
तीसरी स्थिति (हस्तपादासन /Hаѕtа Pаdаѕаnа-Hand to foot pose)
सांस को बाहर निकालते हुए शरीर को धीरे-धीरे सामने की ओर झुकाते हुए हाथों की अंगुलियों से पैर के अंगूठे को छुएं। इस क्रिया में हथेलियों और पैर की एड़ियों को बराबर स्थिति में जमीन पर सटाने तथा धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए नाक या माथे को घुटनों से लगाने का भी अभ्यास करना चाहिए।
यह क्रिया करते समय घुटने सीधे करके रखें। इस क्रिया को करते हुए अंदर भरी हुई वायु को बाहर निकाल दें। इस प्रकार सूर्य नमस्कार के साथ प्राणायाम की क्रिया भी हो जाती है।
अब चौथी स्थिति का अभ्यास करें। ध्यान रखें- आसन की दूसरी क्रिया में थोड़ी कठिनाई हो सकती है इसलिए नाक या सिर को घुटनों में सटाने की क्रिया अपनी क्षमता के अनुसार ही करें और धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए क्रिया को पूरा करने की कोशिश करें।
अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथ और बाएं पैर को वैसे ही रखें तथा दाएं पैर को पीछे ले जाएं और घुटने को जमीन से सटाकर रखें
चौथी स्थिति (अश्व संचलनसाना/Aѕhwа Sanchalanasana-Equestrian pose)
अब सांस अंदर खींचते हुए दोनों हाथ और बाएं पैर को वैसे ही रखें तथा दाएं पैर को पीछे ले जाएं और घुटने को जमीन से सटाकर रखें।
बाएं पैर को दोनों हाथों के बीच में रखें। चेहरे को ऊपर की ओर करके रखें तथा सांस को रोककर ही कुछ देर तक इस स्थिति में रहें।
फिर सांस छोड़ते हुए पैर की स्थिति बदल कर दाएं पैर को दोनों हाथों के बीच में रखें और बाएं पैर को पीछे की ओर करके रखें। अब सांस को रोककर ही इस स्थिति में कुछ देर तक रहें। फिर सांस को छोड़े।
इसके बाद पांचवीं स्थिति का अभ्यास करें। अब सांस को अंदर खींचकर और रोककर दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाएं। इसमें शरीर को दोनों हाथ व पंजों पर स्थित करें।
पांचवीं स्थिति (दण्डासना /Dandasana-Stick pose)
अब सांस को अंदर खींचकर और रोककर दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाएं। इसमें शरीर को दोनों हाथ व पंजों पर स्थित करें। इस स्थिति में सिर, पीठ व पैरों को एक सीध में रखें। अब सांस बाहर की ओर छोड़ें।
इसके बाद छठी स्थिति का अभ्यास करें। अब सांस को अंदर ही रोककर रखें तथा हाथ, एड़ियों व पंजों को अपने स्थान पर ही रखें। अब धीरे-धीरे शरीर को नीचे झुकाते हुए छाती और मस्तक को जमीन पर स्पर्श करना चाहिए
छठी स्थिति (अष्टांग नमस्कार /Ashtanga Nаmаѕkаrа-Salute with eight parts or points)
अब सांस को अंदर ही रोककर रखें तथा हाथ, एड़ियों व पंजों को अपने स्थान पर ही रखें।
अब धीरे-धीरे शरीर को नीचे झुकाते हुए छाती और मस्तक को जमीन पर स्पर्श करना चाहिए और अंदर रुकी हुई वायु को बाहर निकाल दें।
इसके बाद सातवीं स्थिति का अभ्यास करें। फिर सांस अंदर खींचते हुए वायु को अंदर भर लें और सांस को अंदर ही रोककर छाती और सिर को ऊपर उठाकर हल्के से पीछे की ओर ले जाएं
सातवीं स्थिति (भुजंगासन/ Bhujangasana – Cobra Pose)
फिर सांस अंदर खींचते हुए वायु को अंदर भर लें और सांस को अंदर ही रोककर छाती और सिर को ऊपर उठाकर हल्के से पीछे की ओर ले जाएं और ऊपर देखने की कोशिश करें।
इस क्रिया में सांस रुकी हुई ही रहनी चाहिए। इसके बाद आठवीं स्थिति का अभ्यास करें।
अब सांस को बाहर छोड़ते हुए आसन में नितम्ब (हिप्स) और पीठ को ऊपर की ओर ले जाकर छाती और सिर को झुकाते हुए दोनों हाथों के बीच में ले आएं।
आठवीं स्थिति (अधोमुख शवासन /Adho Mukha Svanasana – Downward-facing Dog Pose)
अब सांस को बाहर छोड़ते हुए आसन में नितम्ब (हिप्स) और पीठ को ऊपर की ओर ले जाकर छाती और सिर को झुकाते हुए दोनों हाथों के बीच में ले आएं। आपके दोनों पैर नितंबों की सीध में होने चाहिए।
ठोड़ी को छाती से छूने की कोशिश करें और पेट को जितना सम्भव हो अंदर खींचकर रखें। यह क्रिया करते समय सांस को बाहर निकाल दें। यह भी एक प्रकार का प्राणायाम ही है।
इसके बाद नौवीं स्थिति का अभ्यास करें। इस आसन को करते समय पुन: वायु को अंदर खींचें और शरीर को तीसरी स्थिति में ले आएं। इस स्थिति में आने के बाद सांस को रोककर रखें।
नौवीं स्थिति (अश्व संचालनासन /Ashwa Sanchalanasana – Equestrian Pose)
इस आसन को करते समय पुन: वायु को अंदर खींचें और शरीर को तीसरी स्थिति में ले आएं। इस स्थिति में आने के बाद सांस को रोककर रखें। अब दोनों पैरों को दोनों हाथों के बीच में ले आएं और सिर को आकाश की ओर करके रखें।
इसके बाद दसवीं स्थिति का अभ्यास करें। इसमें सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने शरीर को दूसरी स्थिति की तरह बनाएं। आपकी दोनो हथेलियां दोनो पैरों के अंगूठे को छूती हुई होनी चाहिए।
दसवीं स्थिति (पादहस्तासन/Padahastasana – Hand Under Foot Pose)
इसमें सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने शरीर को दूसरी स्थिति की तरह बनाएं। आपकी दोनो हथेलियां दोनो पैरों के अंगूठे को छूती हुई होनी चाहिए। सिर को घुटनों से सटाकर रखें और अंदर की वायु को बाहर निकाल दें।
इसके बाद ग्यारहवीं स्थिति का अभ्यास करें। अब पुन: फेफड़े में वायु को भरकर पहली स्थिति में सीधे खड़े हो जाएं। इस स्थिति में दोनों पैरों को मिलाकर रखें
ग्यारहवीं स्थिति (हस्तउत्तनासन /Hasta Uttanasana – Raised Arms Pose)
अब पुन: फेफड़े में वायु को भरकर पहली स्थिति में सीधे खड़े हो जाएं। इस स्थिति में दोनों पैरों को मिलाकर रखें और पेट को अंदर खींचकर छाती को बाहर निकाल लें।
इस तरह इस आसन का कई बार अभ्यास कर सकते हैं। अब सांस बाहर छोड़ते हुए पहली वाली स्थिति की तरह नमस्कार मुद्रा में आ जाएं। शरीर को सीधा व तान कर रखें।
बारहवीं स्थिति (प्रणामासन /Pranamasana – The Prayer Pose)
अब सांस बाहर छोड़ते हुए पहली वाली स्थिति की तरह नमस्कार मुद्रा में आ जाएं। शरीर को सीधा व तान कर रखें।
इसके बाद दोनों हाथ को दोनों बगल में रखें और पूरे शरीर को आराम दें। इस प्रकार इन 12 क्रियाओं को करने से सूर्य नमस्कार आसन पूर्ण होता है।
सूर्य नमस्कार विडिओ (Surya Namaskar Video)
सूर्य नमस्कार योग इमेज (Surya Namaskar Yoga Images)
सावधानी/Caution (surya namaskar aasan)
नोट👉: सूर्य नमस्कार आसन का अभ्यास हर्निया रोगी को नहीं करना चाहिए।
ध्यान- सूर्य नमस्कार आसन का अभ्यास करते हुए अपने ध्यान को विशुद्धि चक्र पर लगाएं।
सूर्य नमस्कार आसन की 10 स्थितियों से लाभ (Benefits for surya namaskar Yogasan)
पहली स्थिति
यह स्थिति पेट, पीठ, छाती, पैर और भुजाओं के लिए लाभकारी होती है।
दूसरी स्थिति
दूसरी स्थिति में हथेलियों, हाथों, गर्दन, पीठ, पेट, आंतों, नितम्ब, पिण्डलियों, घुटनों और पैरों को लाभ मिलता है।
तीसरी स्थिति
तीसरी स्थिति में पैरों व हाथों की तलहटियों, छाती, पीठ और गर्दन को लाभ पहुंचता है।
चौथी स्थिति
चौथी स्थिति में हाथ, पैरों के पंजों और गर्दन पर असर पड़ता है।
पांचवीं स्थिति
पांचवी स्थिति में बाहों और घुटनों पर बल पड़ता है और वह शक्तिशाली बनते हैं।
छठी स्थिति
छठी स्थिति में भुजाओं, गर्दन, पेट, पीठ के स्नायुओं और घुटनों को बल मिलता है।
सातवीं स्थिति
सातवीं स्थिति में हाथों, पैरों के पंजों, नितम्बों (हिप्स), भुजाओं, पिंडलियों और कमर पर दबाव पड़ता है।
आठवीं स्थिति
आठवीं स्थिति में हथेलियों, हाथों, गर्दन, पीठ, पेट, आंतों, नितम्ब (हिप्स), पिण्डलियों, घुटनों और पैरों पर बल पड़ता है।
नौवीं स्थिति
नौवीं स्थिति में हाथों, पंजों, भुजाओं, घुटनों, गर्दन व पीठ पर बल पड़ता है।
दसवीं स्थिति
दसवीं स्थिति में पीठ, छाती और भुजाओं पर दबाव पड़ता है तथा उस स्थान का स्नायुमण्डल में खिंचाव होता है। परिणामस्वरूप वह अंग शक्तिशाली व मजबूत बनता है।
आसन के अभ्यास से रोग में लाभ (Surya namaskar Positions/Poses)
सूर्य नमस्कार आसन का अभ्यास करने से शरीर स्वस्थ व रोग मुक्त रहता है। इससे चेहरे पर चमक व रौनक रहती है। यह स्नायुमण्डल को शक्तिशाली बनाता है और ऊर्जा केंद्र को ऊर्जावान बनाता है।
इसके अभ्यास से मानसिक शांति व बुद्धि का विकास होता है तथा स्मरण शक्ति बढ़ती है। इस आसन को करने से शरीर में लचीलापन आता है तथा यह अन्य आसनों के अभ्यास में लाभकारी होता है।
इससे सांस से सम्बंधित रोग, मोटापा, रीढ़ की हड्डी और जोड़ो का दर्द दूर होता है। इस आसन को करने से आमाशय, जिगर, गुर्दे तथा छोटी व बड़ी आंतों को बल मिलता है और इसके अभ्यास से कब्ज, बवासीर आदि रोग समाप्त होते हैं।
सूर्य नमस्कार के फायदे (Surya Namaskar yoga benefits)
यहां सूर्य नमस्कार द्वारा प्रदान की जाने वाली कुछ अविश्वसनीय चीजें हैं जिन्हें आपके शरीर का अनुभव होगा |
(surya namaskar/sun salutation for weight loss)
- यदि आप पेट की चर्बी से परेशान है तो सूर्यनमस्कार को अपना साथी बना लीजिये। इस आसन से पेट की मासपेशियां मज़बूत होती है। यदि आप यह आसन नियमित करें तो पेट पर जमी जिद्दी चर्बी से निजात पा सकते है।
- यदि सूर्यनमस्कार डेली रूटीन में शामिल कर सही तरीके से किया जाए तो आप अपने अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार महसूस करेंगे। यह ऊर्जा आपको निरोगी रखने में मदद करेगी।
- आपकी त्वचा और बालों की गुणवत्ता व चमक में सुधार होता है और साथ ही यह उम्र बढ़ने के संकेत धीमे कर देता है। इससे बालों का झड़ना और बालों का समय से पहले सफेद होना भी बंद हो जाता है।
- सूर्यनमस्कार करने से उदर के अंगो की स्ट्रेचिंग होती है। जिन लोगो को कब्ज़, अपच, पेट में जलन जैसी समस्याओ का आये दिन सामना करना पड़ता है, उनके लिए ये आसन बहुत लाभकारी होता है। इसे रोज सुबह खाली पेट करने से पाचन तंत्र बेहतर होता है।
- आजकल सीटिंग वर्क की वजह से बढ़ते वज़न की समस्या से हर दूसरा व्यक्ति परेशान है। ऐसे में यदि आप इस बढ़ते वज़न पर काबू पाना चाहते है तो सूर्यनमस्कार करना आज से ही शुरू कर दे। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ योग द्वारा किये गए शोध में भी यह बात निकल कर आयी है। यह आपको डाइटिंग की अपेक्षा अधिक जल्दी असर दिखायेगा।
- यदि आप बढ़ती उम्र के लक्षणों जैसे झुर्रिया आदि से छुटकारा चाहते है तो ये करना काफी कारगर होगा। यह आसन एंटी एजिंग की तरह भी काम करता है। यह बालों को मजबूती प्रदान करने के साथ- साथ त्वचा सम्बन्धी समस्याओ के निदान में भी प्रभावशाली है। इसे करने से झुर्रिया देर से आती है और स्किन भी ग्लो करती है। यह आपको जवान और तरोताज़ा रखने में मदद करता है।
- इस आसन के नियमित अभ्यास से बॉडी डिटॉक्स होती है। इस आसन के दौरान सांस लेने और छोड़ने से फेफड़ों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुँचती है, जो रक्त को शुध्द करके शरीर के हानिकारक रसायनों और कार्बन डाई ऑक्साइड को वातावरण में उत्सर्जित करने का काम करती है। इस प्रकार यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है।
- इसे नियमित रूप से करने से मन शांत रहता है। स्मरण शक्ति में इज़ाफ़ा होता है, और नर्वस सिस्टम ठीक प्रकार से काम करता है।
- यह हमारे दिन प्रतिदिन के तनाव को भी कम करता है। इसे ठीक से करने से एकाग्रता बढ़ती है, साथ ही मन चिंतामुक्त होता है।
- सूर्य नमस्कार महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या, अनियमितता को ठीक करने में भी मददगार साबित होता है।
- यह रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करता है। सूर्य की रोशनी से शरीर में विटामिन डी की कमी भी पूरी होती है जिससे शरीर की हड्डियों में मजबूती आती है। इससे शरीर का लचीलापन भी बढ़ता है। यह मांसपेशियों को मजबूत कर शरीर की कार्य क्षमता भी बढ़ाता है.
- प्राथमिक सूर्य नमस्कार लाभों में से एक यह है कि यह पूरे शरीर को मजबूत करता है।
- कब्ज से राहत देता है और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देता है।
- मस्तिष्क, निचले नलिका, रीढ़ की हड्डी, आदि सहित तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। सूर्य नमस्कार योग मेमोरी हानि को रोकने में दृढ़ता से सहायता करता है, फोकस और एकाग्रता बनाता है, मस्तिष्क के कामकाज में सुधार करता है। शरीर में मस्तिष्क कोशिकाओं को सक्रिय करता है।
- यह रक्तचाप का इलाज करने और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए एक प्रसिद्ध उपाय है। यह अनियमित दिल की धड़कन को भी ठीक करता है।
- फेफड़ों की क्षमता में सुधार, ऑक्सीजन की आपूर्ति को उत्तेजित करता है और शरीर में सभी महत्वपूर्ण अंगों को नियंत्रित करता है।
- वजन घटाने को बढ़ावा देता है और किसी व्यक्ति के शरीर की बेसल चयापचय दर (बी-एम-आर) को सक्रिय करता है।
- शरीर के यौन कार्यों में सुधार करता है। यौन ग्रंथियों के खराब होने से संबंधित किसी भी आंतरिक खामियों को मिटा देता है। इसके अलावा, एक व्यक्ति में स्वस्थ यौन भूख को बढ़ावा देता है।
- तनावग्रस्त जोड़ों की समस्याएं कम कर देती हैं। दर्दनाक मांसपेशियों और जोड़ों को लुब्रिकेट करता है और उनके स्वस्थ कामकाज को बढ़ावा देता है। गठिया, कटिस्नायुशूल, अन्य संयुक्त संबंधित बीमारियों आदि के प्रबंधन में अत्यधिक फायदेमंद है।
- व्यक्ति के शरीर के मानसिक और शारीरिक संतुलन में सुधार करता है। मस्तिष्क और शरीर की मानसिक क्षमता को बढ़ाकर धैर्य विकसित करता है और सहनशक्ति बनाता है।
सूर्य नमस्कार के साथ पढ़े जाने वाले मंत्र (Mantra for Surya Namaskar in English/Hindi)
सूर्य नमस्कार आसन में विभिन्न मंत्रों को पढ़ने का नियम बनाया गया है। इन मंत्रों को विभिन्न स्थितियों में पढ़ने से अत्यंत लाभ मिलता है।
इसका अभ्यास क्रमबद्ध रूप से करते हुए तथा उसके साथ मंत्र का उच्चारण करते हुए अभ्यास करना चाहिए।
ऊँ ह्राँ मित्राय नम:।
ऊँ ह्राँ रवये नम:।
ऊँ ह्रूँ सूर्याय नम:।
ऊँ ह्रैं मानवे नम:।
ऊँ ह्रौं खगाय नम:।
ऊँ ह्र: पूष्पो नम:।
ऊँ ह्राँ हिरण्यगर्भाय नम:।
ऊँ ह्री मरीचये नम:।
ऊँ ह्रौं अर्काय नम:।
ऊँ ह्रूँ आदित्याय नम:।
ऊँ ह्र: भास्कराय नम:।
ऊँ ह्रैं सविणे नम:।
ऊँ ह्राँ ह्री मित्ररविभ्याम्:।
ऊँ ह्रू हें सूर्याभानुभ्याम नम:।
ऊँ ह्रौं ह्री खगपूषभ्याम् नम:।
ऊँ ह्रें ह्रीं हिरण्यगर्भमरीचियाम् नम:।
ऊँ ह्रू ह्रू आदित्यसविती्याम्:।
ऊँ ह्रौं ह्रः अर्कभास्कराभ्याम् नम:।
ऊँ ह्राँ ह्रां ह्रूँ ह्रैं मित्ररवि सूर्यभानुष्यो नम:।
ऊँ ह्र ह्रें ह्रौं ह्र: आदित्यसवित्रर्कफारकरेभ्यो नम:।
ऊँ ह्रों ह्रः ह्रां ह्रौं खगपूशहिरिण्यगर्भ मरीचिभ्यो नम:।
ऊँ ह्राँ ह्रों ह्रं ह्रै ह्रौं ह्रः, ऊँ ह्राँ ह्रीं ह्रू ह्रैं ह्रीं ह्रः मित्र रविसूर्यभानुखगपूषहिरण्यग भमरीच्यादिन्यासवित्रक भास्करूभ्यो नम:।
इन मंत्रों को दो और बार पढ़ें।
ऊँ श्री सवित्रेन सूर्यनारायण नम:।
आदर्श रूप से हर दिन सूर्य नमस्कार के कम से कम 12 चक्र का अभ्यास करना चाहिए, जिसका अर्थ है दाहिने पैर पर छह चक्र और बाएं पैर पर छह चक्र। हालांकि, संख्या को धीरे-धीरे बढ़ाया जाना चाहिए।
किसी भी योग आसन को करने का सरल नियम यह है कि जैसे ही आप पीछे की ओर झुकते हैं वैसे ही सांस खींचते हैं और आप आगे झुकते हैं वैसे ही सांस छोड़ते हैं।
अंततः सूर्य नमस्कार से हमें आदर्श शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है। स्वस्थ रहें, मस्त रहें । (1,2)
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