हल्दी के फायदे: ये दिखने में तो सारतत्व (quintessential) अदरक के करीबी चचेरे भाई की तरह होता है 😊
हल्दी के roots का उपयोग या तो ताज़ा किया जाता है या तो इसे पानी मे उबाल कर सुखाया जाता है और फिर इसका पाउडर के रूप मे काम लिया जाता है।
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हल्दी, क्या? कब? कैसे?
600 ई.पु पहले हल्दी का इस्तेमाल रंगाई/पुताई(House Painting) के लिए किया जाता था.
India में हल्दी का बहुत time से use किया जाता रहा है। आयुर्वेदिक हर्बल दवाइयों मे हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है।
और इससे बनी दवाइयां/औषधियां सांस से संबंधित परेशानियों, सूजन, बदन दर, और थकान को दूर करने मे असरदार होती है।
कपड़ों को रंगने के लिए भी हल्दी का use किया जाता है। यहाँ तक की मार्को पोलो ने साल 1280 मे चीन के यात्रा के दौरान अपने नोट्स/diary मे हल्दी की तुलना केसर से की थी।
मध्य यूरोप मे हल्दी को भारतीय केसर (Indian Saffron) कहा जाता था।
हल्दी गुंडी(Turmeric powder) डूबती हुई सूरज की तरह पीली होती है। ईसमे थोड़ा तीखा, कड़वा स्वाद और मिट्टी सी सुगंध होती है।
हल्दी का Primary Active component और वो जो इस मसले को अपना खास पीला रंग देता है, वो (Curcumin)करक्यूमिन है।
चाहे इसे खाने पीने के रूप मे लिया जाए या फिर इसे लगाने के रूप मे, कुछ भी कहो इसके फायदे बहुत ज्यादा है।
इस पीले मसाले की खेती, मुख्य रूप से India के और दक्षिण पूर्वी Asia के दूसरे भागों मे जैसे चीन, श्रीलंका, इंडोनेशिया, ताइवान, पेरू आदि मे की जाती है। (1,2)
तो चलिए, हम हल्दी के कुछ जबरदस्त एवं चौंका देने वाले फायदे के बारे मे जानते हैं, वो भी वैज्ञानिक तरीकों से(scientifically)।
1.हल्दी एक प्रकीर्तिक सूजनरोधी है (Turmeric is a natural Anti-inflammatory)
हल्दी के कुछ मुख्य दावों मे से एक Famous ये भी है कि, इसका उपयोग आमतौर पर सूजन,दर्द और जलन से लड़ने के लिए किया जाता है।
इंसान पर किए गए शोध मे हल्दी का use सुरक्षित पाया गया।
इसके साथ ही हल्दी मे एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी prove हुई, जो सूजन की समस्या से बचाव करने मे मदद करता है।
सूजन कई बीमारियों से जैसे– गठिया(Arthritis ), अस्थमा। कैंसर और अलज़ायमर(Alzheimer ) का कारण बन सकता है।
ऐसे मे हल्दी anti-inflammatory agent की तरह काम कर सूजन की समस्या को काम करने मे सहायक ही सकती है। (3, 4, 5)
2. दिल के लिए हल्दी के फायदे (Turmeric benefits for heart)
एक पिछले अध्ययन से पता चलता है की, करक्यूमिन Endothelial Function, या दिल और खून की नली को ढंकने वाली पतली झिल्ली(membrane ) के स्वास्थ्य मे बेहतरी ला सकती है।
यह झिल्ली ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने मे जरूरी भूमिका निभाता है। Lower Endothelial Function उम्र बढ़ने और दिल की बीमारी के खतरे से जुड़ा हुआ होता है।
इस तरह, करक्यूमिन उम्र related नुकसान से बचाने मे मदद कर सकता है, और दिल की बीमारी के बढ़ने की संभावना को काम करता है।
एक और Study मे पाया गया की करक्यूमिन टाइप-2 Diabetes(दिल के रोग type -2 की एक नॉर्मल comorbidity* है) वाले लोगों मे एन्डोथेलियाल फंक्शन को बेहतर बनाने में Drug लिपिटोर(Atorvastatin) आमतौर पर दिल का दौरा और स्ट्रोक के intensity को कम करने के लिए, निर्धारित दवा के रूप में बराबर रूप से असरदार था।
{*किसी इंसान को एक से ज्यादा रोग का होना} (6, 7)
3. कैंसर के लिए हल्दी के फायदे (Turmeric For Treatment of Cancer)
हल्दी का उपयोग कैंसर के होने के खतरे से भी बचाव करने मे मददगार साबित हो सकता है।
कुछ शोध से यह बात सामने आई है की curcumin, ट्यूमर cells को काम करने या उसके प्रसार(Spreading) को रोकने मे हेल्प कर सकता है।
इसमे (Antineoplastic Properties – टूमर से बचाव की खासियत के गुण मौजूद होते हैं। (8) (9)
इसके साथ ही इसमें एंटी कैंसर properties भी होता है,जो प्रास्टेट, स्तन और lung Cancer के जोखिम से बचाव करने मे कारगर साबित हो सकता है।
ध्यान रहे, अगर किसी को कैंसर है तो डॉक्टर का इलाज ही पहली प्राथमिकता(Priority) होनी चाहिए।
4. हल्दी गठिया के लिए फायदेमंद है (Turmeric For Arthritis)
हल्दी की एंटी इन्फ्लैमटोरी खूबी, osteoarthritis और rheumatoid आर्थ्राइटिस(जो गठिया का ही एक प्रकार है) के इलाज मे अहम किरदार निभाता है।
इसमे मौजूद ऐन्टीआक्सिडन्ट शरीर मे से free radicals सेल्स को खत्म करता है, जो cells को नुकसान पहुंचाता है।
कोई भी जो किसी हालात से पीड़ित हो, हल्के जोड़ के दर्द, जलन या सूजन को दूर करने के लिए इस मसले का सेवन रोज करना चाहिए।
हालांकि, ये समझना जरूरी है कि, ये दावा के रूप मे पक्का विकल्प नहीं है। यह सहायक/माध्यमिक है। (10)
5. दिमाग को दुरुस्त करे हल्दी(Turmeric Boost Brain Function)
हल्दी आपके दिमाग के लिए अच्छी है. हल्दी के अवशोषण (Absorption) में सुधार लाने के लिए, आपको काली मिर्च और कुछ वसा, जैसे- जैतून का तेल या घी के साथ मिलाकर इसका सेवन(Consumption) करना होगा.
इन चीजों से तैयार हुई यह टॉनिक आपके मस्तिष्क, प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system), त्वचा, आंखों, बालों, जिगर और बहुत चीजों के लिए बेहतर है।
रिसर्च मे पाया गया की, यह यौगिक Brain के स्टेम कोशिकाओं में मरम्मत को बढ़ावा देता है- वही स्टेम कोशिकाएं, जो स्ट्रोक और अल्जाइमर जैसे neurodegenerative रोगों से उबरने में मदद कर सकती है।
शोध /अध्ययन से ये भी पता चलता है कि, Curcumin, अल्जाइमर के रोगियों की याददाश्त दुरुस्त करने मे मदद करता है।
6. हल्दी मधुमेह का इलाज कर सकती है(Turmeric for Diabetes)
अध्ययन की एक पिछली रिपोर्ट के अनुसार करक्यूमिन मधुमेह यानी डायबिटीज का इलाज करने और उसे रोकने में मदद करता है।
साथ ही मधुमेह संबंधी नेचुरोपैथी जिसे मधु में गुर्दे की बीमारी भी कहा जाता है, जैसे रिलेवेंट विकास डिसऑर्डर जो टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को प्रभावित करती है
एक स्टडी में पाया गया कि 45 दिनों के लिए, टाइप 2 मधुमेह वाले चूहों को पर किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से, 80 मिलीग्राम हाइड्रोक्रोम (करक्यूमिन का एक अहम पदार्थ) खिलाने से खून में शुगर की कमी आई, साथ ही प्लाज्मा इंसुलिन में भी वृद्धि हुई।
इसके अलावा ये anti-diabetic गुण मधुमेह होने वाली किसी भी तरह की जटिलता के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है।
लेकिन फिर भी बेहतर है इस बारे में डॉक्टर की सलाह लीजिए क्योंकि डायबिटीज में हल्दी का सेवन और उसकी मात्रा से संबंधित जांच जरूरी है।
7.पाचन क्रिया में हल्दी फायदा देती है(Turmeric For Digestion)
जब कब्ज या पाचन की प्रॉब्लम होने पर कच्ची हल्दी का सेवन किया जाता है तो, हल्दी इस हालात को संभालने में बहुत मदद करता है।
मसाले के मुख्य घटक, गॉल ब्लैडर की थैली के पित्त को प्रोड्यूस करने के लिए उत्तेजित करता है ये जल्द ही पाचन तंत्र को अधिक कुशल बनाता है।
यह सूजन और गैस के लक्षणों को कम करने के लिए भी जाना जाता है।
8.रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए हल्दी
बॉडी स्वस्थ हो उसके लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का सही होना जरूरी है जहां हल्दी मददगार साबित हो सकती है।
दरअसल हल्दी का अहम कॉम्पोनेंट करक्यूमिन anti-inflammatory गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ इम्यूनोमोड्यूलेटरी एजेंट (इम्यून सिस्टम को प्रभावित करना) की तरह भी काम कर सकता है।
यह टी और बी सेल्स (व्हाइट ब्लड सेल्स) जैसे मुख्तलिफ इम्यून सेल्स की प्रोसीजर को बेहतर करने में भी मदद कर सकता है, जिससे शरीर कई तरह की बीमारियों जैसे- एलर्जी, अस्थमा, मधुमेह और दिल के रोग से भी लड़ सकता है।
हल्दी के कुछ और गुण
आज जो हमारा शरीर थका थका रहता है, जोड़ों में चिकनाहट नहीं है, सीढ़ियां लोग चढ़ नहीं पाते, काम करने को दिल नहीं करता, बैठ जाओ तो उठा नहीं जाता, उठ जाओ तो बैठा नहीं जाता।
शरीर इतना lethargic हो गया, औरतें कहती हैं, हाय खड़ा नहीं हुआ जाता है, कमर में दर्द होता है।
सिर्फ हल्दी का पानी, पीना शुरू कर दो यह दर्द सारे बंद हो जाएंगे।
आपको कहोगे की यार क्या दवा बताया की, घर में बैठे हैं, डॉक्टर की जरूरत ही नहीं।
डॉक्टर के पास तो तब जाना है जब कोई इमरजेंसी है, कोई रोग है और जब कोई रोग ही नहीं रहेगा, तो हम डॉक्टर के पास करेंगे क्या?
जाएंगे, जरूर जाएंगे! अगर तकलीफ होगी। लेकिन, अगर हमने हल्दी का सेवन शुरू कर दिया तो शायद हमें डॉक्टर की जरूरत ही ना पड़े। हम आयुर्वेद से ही अपने आप को सही कर लें।
जिससे, हम घर पर बैठे-बैठे अपने आप को ठीक कर ले, हमें एंटीबायोटिक दवाइयां खाने की जरूरत ही ना हो।
एंटीवायरल दवाइयां खाने की जरूरत ही नहीं। anti-inflammatory की जरूरत ही ना हो, एंटी ऑक्सीडेंट खाने की जरूरत ही ना हो तो, इसे क्या हम छोटी मोटी चीज समझेंगे। आप इस हल्दी को हल्के में ना लें।
अगर किसी का मोटापा बढ़ रहा है तो वह हल्दी का पानी जो मैंने बताया है कि गर्म पानी में आधा चम्मच हल्दी लेनी है, उसमें आधा नींबू निचोड़ लो और उसको पीना शुरू कर दो।
धीरे-धीरे, धीरे-धीरे आपका फिटनेस शुरू हो जाएगा।
अपने आप जहां जहां पर पेट बढ़ हुआ होगा, अपने आप जहां जहां पर Fat डिपॉजिट हो गया होगा, कमर के पास, कूल्हे के पास, जानू के पास, कंधों के पास, हल्दी उसे उतार देगी।
धीरे-धीरे धीरे-धीरे ये उतरने लग जाएगा आप कहोगे भाई ये तो कमाल हो गया, कभी सोचा भी नहीं था कि इतना ज्यादा फर्क पड़ेगा। रोज सुबह, पानी या दूध गर्म करो, उसमें हल्दी मिलाओ आधा चम्मच, और पी लो।
हल्दी के लाभ
जिसे टेंशन रहती है, तनाव रहती है, stress रहता है, काम करने को दिल नहीं करता, थकावट रहती है, कार्यक्षमता पूरी नहीं है,उसको भी हल्दी ठीक करती है।
क्योंकि, जब पेट साफ तो सारे दुख माफ। जब हाजमा दुरुस्त तो सारे बॉडी दुरुस्त।
आपको टेंशन या स्ट्रेस लेने की क्षमता, pressure झेलने की ताकत, स्ट्रेस लेने की पावर जो stress आपके शरीर में बिगाड़ती है, हल्दी आपके अंदर ऐसा इम्यूनिटी सिस्टम पैदा कर देगी कि आपका हाजमा हमेशा ठीक ही रहेगा.
आपका कॉन्स्टिपेशन की जो शिकायत है वह ठीक होगी। आपका पेट जो पूरी तरह से साफ होगा तो रोग आपके पास आएंगे भी नहीं।
हल्दी आपके किड्नी को भी स्वस्थ रखती है, आपके मटैबलिज़म और पेट को भी ठीकरखती है, आपकी स्किन को भी साफ रखती है।
आपकी शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत भी बनाती है,। हमारे शरीर को फिटनेस लेवल भी देती है, शरीर में से रोग भागती है, जोड़ों के दर्द दूर होते हैं, थकावट दूर होती है।
बॉडी के अंदर जो दर्द/सूजन है, जो बॉडी थकी थकी रहती है काम की क्षमता नहीं रहती है, Skin की प्रॉब्लम है, यह सब सिर्फ हल्दी पानी पीने से ठीक हो सकती है।
लेकिन शर्त एक ही है मैं बार-बार, बार-बार कह रहा हूं, फायदा इस हल्दी को खुद लाकर पीसने है। किसमे पीसें? mixer में,सिलबट्टे पे, अमलदस्ते में, वह आपकी मर्जी है।
हल्दी के दुष्प्रभाव (Side Effects of Turmeric)
मुंह से सेवन:- मुंह से काम मात्रा में लिये जाने पर हल्दी का उपयोग सुरक्षित है। हल्दी उत्पाद जो रोजाना 8 ग्राम करक्यूमिन देती हैं, उन्हें 2 महीने तक इस्तेमाल करने तक हल्दी सुरक्षित लगती है, और 3 महीने तक इस्तेमाल करने पर हल्दी 3 ग्राम तक सुरक्षित लगती है।
हल्दी आमतौर पर गंभीर दुष्प्रभावों का कारण नहीं बनती है। कुछ लोग हल्के दुष्प्रभाव जैसे पेट खराब, मतली, चक्कर आना या दस्त का अनुभव कर सकते हैं। ये दुष्प्रभाव उच्च खुराक पर अधिक आम हैं।
त्वचा पर लागू होने पर:- त्वचा पर लागू करने पर हल्दी safe है। जब मुंह के अंदर त्वचा पर माउथवॉश के रूप में लागू किया जाता है, तो यह POSSIBLY SAFE है।
विशेष सावधानियाँ और चेतावनियाँ(Special Precautions & Warnings)
गर्भावस्था और स्तनपान: गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान भोजन की मात्रा में मुंह से लेने पर हल्दी सिकुड़ जाती है।
हालांकि, गर्भावस्था के दौरान औषधीय मात्रा में मुंह से ली जाने वाली हल्दी लिक्विड UNSAFE है। यह मासिक धर्म को बढ़ावा दे सकता है या गर्भावस्था को खतरे में डाल सकता है।
यदि आप गर्भवती हैं तो हल्दी की औषधीय मात्रा न लें। यह जानने के लिए पर्याप्त विश्वसनीय जानकारी नहीं है कि क्या स्तनपान के दौरान हल्दी औषधीय मात्रा में उपयोग करना सुरक्षित है। सुरक्षित पक्ष पर रहें और उपयोग से बचें।
पित्ताशय की समस्या: हल्दी पित्ताशय की समस्याओं को बदतर बना सकती है। पित्त पथरी या पित्त नली रुकावट होने पर हल्दी का प्रयोग न करें।
रक्तस्राव की समस्या: हल्दी लेने से रक्त का थक्का जम सकता है। यह रक्तस्राव विकारों वाले लोगों में चोट और रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हार्मोन-संवेदनशील स्थिति जैसे स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर, एंडोमेट्रियोसिस या गर्भाशय फाइब्रॉएड: हल्दी में कर्क्यूमिन नामक एक रसायन होता है, जो हार्मोन एस्ट्रोजन की तरह काम कर सकता है।
सिद्धांत रूप में, हल्दी हार्मोन-संवेदनशील स्थितियों को बदतर बना सकती है।
हालांकि, कुछ शोध से पता चलता है कि हल्दी कुछ हार्मोन-संवेदनशील कैंसर कोशिकाओं में एस्ट्रोजेन के प्रभाव को कम करती है।
इसलिए, हल्दी हार्मोन-संवेदनशील स्थितियों पर लाभकारी प्रभाव डाल सकती है।
यदि आपके पास एक ऐसी स्थिति है जो हार्मोन के संपर्क में आने से खराब हो सकती है तो अधिक ज्ञात होने तक, इसे सावधानी से उपयोग करें ।
बांझपन: पुरुषों द्वारा मुंह से लेने पर हल्दी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकती है और शुक्राणु की गति को कम कर सकती है।
इससे प्रजनन क्षमता कम हो सकती है। हल्दी का उपयोग सावधानी से बच्चे पैदा करने की कोशिश कर रहे लोगों द्वारा किया जाना चाहिए।
आयरन की कमी: हल्दी का अधिक मात्रा में लेना आयरन के अवशोषण को रोक सकता है। लोहे की कमी वाले लोगों में हल्दी का उपयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।
जिगर की बीमारी: कुछ चिंता है कि हल्दी जिगर को नुकसान पहुंचा सकती है, खासकर उन लोगों में जो जिगर की बीमारी है। अगर आपको लिवर की समस्या है तो हल्दी का प्रयोग न करें।
सर्जरी: हल्दी रक्त के थक्के को धीमा कर सकती है। इससे सर्जरी के दौरान और बाद में अतिरिक्त रक्तस्राव हो सकता है।
अनुसूचित सर्जरी से कम से कम 2 सप्ताह पहले हल्दी का उपयोग बंद कर दें।
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